Vivah Muhurat 2026: अगले साल इतने दिन बजेंगी शहनाइयां, नोट करें विवाह की तिथियां
ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को विवाह (Vivah Muhurat 2026) का भी कारक माना जाता है। कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक की शादी जल्द हो जाती है। हालांकि जातक किसी दोष से पीड़ित न हो। भगवान विष्णु की पूजा करने से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं। अपनी कृपा साधक पर बरसाते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। साल 2026 कई जातकों के लिए बेहद खास रहने वाला है। कई राशि के जातकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। वहीं, कई राशि के जातक नए जीवन की शुरुआत करेंगे। आसान शब्दों में कहें तो परिणय सूत्र में बंधेंगे।
हालांकि, शादी सीजन की शुरुआत नवंबर महीने में होगी। इस महीने में जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा से जागृत होंगे। इस दिन से सभी प्रकार के काम किए जाएंगे। इसके अगले दिन तुलसी विवाह है। इस दिन से विवाह मुहूर्त का शंखनाद होगा। आइए जानते हैं कि साल 2026 में कितने दिन शादी (Hindu wedding dates 2026) की शहनाइयां बजेंगी।
साल 2026 में विवाह की शुभ तिथि और मुहूर्त (2026 marriage dates)
- फरवरी 2026 विवाह का मुहूर्त - 5, 6, 8, 10, 12, 14, 19, 20, 21, 24, 25 और 26 फरवरी को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
- मार्च 2026 विवाह का मुहूर्त -1, 3, 4, 7, 8, 9, 11 और 12 मार्च को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
- अप्रैल 2026 विवाह का मुहूर्त - 15, 20, 21, 25, 26, 27, 28 और 29 अप्रैल में कुल 8 दिन शादी के मुहूर्त हैं।
- मई 2026 विवाह का मुहूर्त - 1, 3, 5, 6, 7, 8, 13, 14 मई को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
- जून 2026 विवाह का मुहूर्त - 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 29 जून को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
- जुलाई 2026 विवाह मुहूर्त- 1, 6, 7, 11 जुलाई के दिन विवाह मुहूर्त (2026 marriage dates) हैं।
- नवंबर 2026 विवाह का मुहूर्त - 21, 24, 25 और 26 नवंबर को शादी के शुभ मुहूर्त हैं।
- दिसंबर 2026 विवाह का मुहूर्त -2, 3, 4, 5, 6, 11 और 12 दिसंबर को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
चातुर्मास
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस दौरान विवाह समेत सभी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। वहीं, देवउठनी एकादशी से शुभ कार्य किए जाते हैं। चातुर्मास के दौरान विवाह संबंधित कार्य भी नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही सूर्य देव के धनु और मीन राशि में गोचर के दौरान भी शादी नहीं की जाती है। इस दौरान गुरु का प्रभाव क्षीण हो जाता है।
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