Vishwakarma Puja 2025: 17 या 18 सितंबर, किस दिन मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा? यहां जानें मुहूर्त और महत्व
ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja 2025) की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही कौशल में निखार आएगा। इस शुभ अवसर पर सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमा स्थापित कर विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल सूर्य देव के कन्या राशि में गोचर करने की तिथि पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। यह पर्व बिहार, बंगाल और झारखंड समेत देश के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।
धार्मिक मत है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति में कार्य कुशलता आती है। इससे व्यक्ति अपने जीवन में तरक्की की राह पर अग्रसर रहता है। इसके साथ ही भूमि और भवन संबंधी सपने भी पूरे होते हैं। आइए, विश्वकर्मा पूजा की सही तिथि और मुहूर्त जानते हैं-
कब है कन्या संक्रांति? (Surya Gochar 2025)
सूर्य देव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन गंगा स्नान किया जाता है। साथ ही सूर्य देव की पूजा और साधना की जाती है। इस साल 17 सितंबर को सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। इस शुभ अवसर पर कन्या संक्रांति मनाई जाएगी।
कन्या संक्रांति शुभ मुहूर्त (Kanya Sankranti Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आत्मा के कारक सूर्य देव 17 सितंबर (16 सितंबर की रात) को देर रात 01 बजकर 54 मिनट पर कन्या राशि में गोचर करेंगे। 17 सितंबर को पुण्य काल सुबह 05 बजकर 36 मिनट से लेकर दिन में 11 बजकर 44 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 36 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तक है।
कब है विश्वकर्मा जयंती (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)
इस साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी। इस साल 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी, कन्या संक्रांति और विश्वकर्मा जयंती है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर भगवान विश्वकर्मा की पूजा कर सकते हैं।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
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