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    Vishwakarma Puja 2024: कौन हैं भगवान विश्वकर्मा? जिन्होंने किया था द्वारका नगरी का निर्माण

    Updated: Mon, 16 Sep 2024 01:51 PM (IST)

    सनातन धर्म में सभी पर्व और व्रत का विशेष महत्व है। इसी तरह विश्वकर्मा जयंती को भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्वकर्मा जयंती के पर्व को विश्वकर्मा पूजा ( Vishwakarma Puja 2024) के नाम से भी जाना जाता है। इस खास अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक-अर्चना की जाती है। साथ ही दान किया जाता है। आइए जानते हैं भगवान विश्वकर्मा के बारे में विस्तार से।

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    Vishwakarma Puja 2024: उपकरणों के देवता हैं भगवान विश्वकर्मा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल विश्वकर्मा जयंती का पर्व कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है। कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा का अवतरण हुआ था। इसी वजह से इस दिन को विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Puja 2024) के रूप में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा की सच्चे मन से पूजा करने से साधक को कार्यक्षेत्र में आ रही बाधा से मुक्ति मिलती है और आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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    कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

    भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja 2024 Significance) को स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है। सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की सातवीं संतान भगवान विश्वकर्मा को माना जाता है। कुछ धर्म ग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को महादेव का अवतार बताया गया है। मान्यता के अनुसार, विश्वकर्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था। वहीं, सोने की लंका भी बनाई थी। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और यमराज का कालदंड, पुष्पक विमान और महादेव का त्रिशूल समेत आदि कई तरह के अस्त्र-शस्त्र का निर्माण किया था।

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    विश्वकर्मा पूजा का महत्व

    कारखानों और कार्यस्थल में भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यापार में बढ़ोतरी होती है और कार्य में आ रही बाधा दूर होती है। साथ ही सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    विश्वकर्मा पूजा मंत्र

    विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला के द्वारा निम्न मंत्र का जाप एक माला यानी 108 बार करें। मान्यता है कि इस मंत्र के जप के द्वारा साधक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

    मंत्र: ओम आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।