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    Vishnu Mantra: इन मंत्रों से करें नव वर्ष के पहले गुरुवार की शुरुआत, पूरी होगी मनचाही मुराद

    धार्मिक मत है कि धन की देवी मां लक्ष्मी एवं जग के नाथ भगवान विष्णु की पूजा (Lord Vishnu Puja Vidhi) करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की विशेष पूजा की जाती है। नव वर्ष के पहले गुरुवार पर रवि योग का संयोग बन रहा है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 01 Jan 2025 05:24 PM (IST)
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    Vishnu Mantra: भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रिय है। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की विधिपूर्वक से पूजा की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु के निमित्त गुरुवार का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि गुरुवार का व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पूरी होती है। ज्योतिष भी कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन भगवान विष्णु एवं देवगुरु बृहस्पति की पूजा-भक्ति करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी भगवान श्रीहरि विष्णु की कृपा-दृष्टि पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें।

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    विष्णु मंत्र

    1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

    अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

    श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

    3. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    4. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।

    5. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    6.मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    7. पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।

    8. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    9. ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:

    10. ॐ नमो भगवते धनवंतराय।

    अमृताकर्षणाय धन्वन्तराय।

    वेधासे सुराराधिताय धन्वंतराय।

    सर्व सिद्धि प्रदेय धन्वंतराय।

    सर्व रक्षा कारिणेय धन्वंतराय।

    सर्व रोग निवारिणी धन्वंतराय।

    सर्व देवानां हिताय धन्वंतराय।

    सर्व मनुष्यानाम हिताय धन्वन्तराय।

    सर्व भूतानाम हिताय धन्वन्तराय।

    सर्व लोकानाम हिताय धन्वन्तराय।

    सर्व सिद्धि मंत्र स्वरूपिणी।

    धन्वन्तराय नमः।

    11. ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।

    यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।

    12. ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।

    बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

    13. ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्।।

    14. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    15. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |

    पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।

    एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |

    य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।