Vinayak chaturthi 2025: इस कथा के बिना अधूरा है ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत, जरूर करें इसका पाठ
विनायक चतुर्थी (Vinayak chaturthi 2025) का व्रत हर महीने आता है। यह भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में शुभता आती है। इस बार ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी आज यानी 30 मई को मनाई जा रही है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। विनायक चतुर्थी का पर्व हर महीने भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। इस व्रत का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ व्रत पूरा होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार यह व्रत (Vinayak Chaturthi 2025) 30 मई को 2025 यानी आज के दिन रखा जा रहा है। वहीं, यह व्रत इसकी कथा के साथ ही पूरा माना जाता है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ (Vinayak Chaturthi 2025 Ki Katha)
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एक बार एक नदी के तट पर माता पार्वती शिव जी के साथ बैठी थीं। तभी उनके मन में चौपड़ खेलने का विचार आया, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो चौपड़ के खेल के दौरान हार और जीत का निर्णय कर सके। इस स्थिति में शिव जी ने और देवी पार्वती ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसमें प्राण का संचालन किया, जिससे खेल में हार-जीत का सही फैसला हो सके। इसके बाद पार्वती माता लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन उस मिट्टी के बालक ने शिव जी को विजयी घोषित कर दिया। इससे देवी पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। तब बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी, लेकिन मां पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए आप एक उपाय के जरिए इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि चतुर्थी के दिन (Significance Of Vinayak Chaturthi Fasting) कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। बालक ने ठीक ऐसा ही किया और उसकी पूजा से शिव पुत्र गणेश खुश हो जाते हैं और उसकी जीवन के सभी दुखों का अंत कर देते हैं। इससे बालक अपना जीवन फिर से खुश होकर व्यतीत करने लगता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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