Vinayak Chaturthi पर गणेश जी को जरूर अर्पित करें ये चीजें और पाएं गणपति जी की कृपा
पंचांग के अनुसार हर महीने में आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर कई साधक व्रत आदि भी करते हैं जिससे उन्हें गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप इस दिन पर गणेश जी को क्या अर्पित कर सकते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा जरूर की जाती है, इसलिए गणपति प्रथम पूज्य देव कहलता हैं। हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए खास मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) पर व्रत और गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से साधक की सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं।
विनायक चतुर्थी मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Muhurat)
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 30 अप्रैल से दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 01 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर होने जा रहा है। उदया तिथि के अनुसार, विनायक चतुर्थी गुरुवार 01 मई को मनाई जाएगी। इस दौरान गणेश जी की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -
विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 17 मिनट से सुबह 11 बजकर 23 मिनट तक
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
अर्पित करें ये चीजें
विनायक चतुर्थी के पूजा में आप गणेश जी को हरे रंग के वस्त्र, सुपारी, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, पीले रंग के फूल और फल अर्पित कर सकते हैं। इसी के साथ भोग के रूप में गणेश जी को मोकद व लड्डू अर्पित किए जा सकते हैं। इससे भी गणपति जी प्रसन्न होते हैं।
इस तरह अर्पित करें दूर्वा
पूजा के दौरान गणेश जी को 21 दूर्वा अर्पित करें और इस दौरान 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि' मंत्र का जप करें। इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
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करें इन मंत्रों का जप
विनायक चतुर्थी पर गणपति जी की पूजा-अर्चना के दौरान उनके मंत्रों का जप भी जरूर करना चाहिए। इससे साधक और उसके पूरे परिवार को बप्पा की कृपा मिलती है।
1.कदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
2. ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
3. ॐ गंग गणपतये नमो नमः
4. वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
5. एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
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