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    Vinayak Chaturthi April 2024: अप्रैल में कब मनाई जाएगी विनायक चतुर्थी? जानें कैसे करें गणपति बप्पा की पूजा

    Updated: Tue, 09 Apr 2024 01:49 PM (IST)

    हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी के त्योहार का बेहद खास महत्व है। चैत्र माह में विनायक चतुर्थी 12 अप्रैल को है। धार्मिक मान्यता है कि इस अवसर पर भगवान गणेश जी की पूजा और व्रत करने से साधक को जीवन के संकटों से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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    Vinayak Chaturthi April 2024: अप्रैल में कब मनाई जाएगी विनायक चतुर्थी?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayak Chaturthi April 2024 Date: हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा को समर्पित है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की विशेष पूजा करने का विधान है। साथ ही जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है और गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं। चलिए जानते हैं अप्रैल में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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    विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त (VinayakChaturthi 2024 Shubh Muhurat)

    चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 11 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इसका समापन 12 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 12 अप्रैल विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी।

    विनायक चतुर्थी पूजा विधि (Vinayak Chaturthi Puja Vidhi)

    विनायक चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और दिन की शुरुआत देवी- देवता के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। साथ ही गंगाजल छिड़ककर मंदिर को शुद्ध कर लें। अब चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर गणपति बप्पा की मूर्ति या तस्वीर विराजमान करें। इसके बाद उन्हें फूल और सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप और गणेश चालीसा का पाठ करना फलदायी माना जाता है। अंत में सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। भोग लगाकर लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

    इस मंत्र का करें जाप

    विघ्न नाशक मंत्र

    गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'