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Vinayak Chaturthi 2024: चंद्र अर्घ्य के बाद विनायक चतुर्थी पर करें ये आरती, घर में सदैव रहेगा रिद्धि-सिद्धि का वास

विनायक चतुर्थी के दिन बप्पा की श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही ज्ञान सुख-शांति धन और यश में वृद्धि होती है। इस माह यह व्रत 10 जून यानी की आज के दिन रखा जा रहा है। ऐसे में यदि आप कामना रखते हैं कि आपके ऊपर विघ्नहर्ता की कृपा दृष्टि बनी रहे तो आपको इस दिन कठिन उपवास का पालन करना चाहिए।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Mon, 10 Jun 2024 08:27 AM (IST)
Vinayak Chaturthi 2024: चंद्र अर्घ्य के बाद विनायक चतुर्थी पर करें ये आरती, घर में सदैव रहेगा रिद्धि-सिद्धि का वास
Vinayak Chaturthi 2024: श्री गणेश जी की आरती -

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। विनायक चतुर्थी का दिन अपने आप में बहुत खास होता है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए अच्छा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन (Vinayak Chaturthi 2024) बप्पा की श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही ज्ञान, सुख-शांति, धन और यश में वृद्धि होती है। इस माह यह व्रत 10 जून, 2024 यानी की आज के दिन रखा जा रहा है।

ऐसे में यदि आप कामना रखते हैं कि आपके ऊपर विघ्नहर्ता की कृपा दृष्टि बनी रहे, तो आपको इस दिन कठिन उपवास का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। वहीं, पूजा का समापन सदैव आरती से करें, जो इस प्रकार है -

।।गणेश स्तोत्र।।

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥॥

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥॥

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

॥श्री गणेश जी की आरती॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।