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    Vijayadashami 2023: बेहद खास है इस बार विजयादशमी, रामचरितमानस के इन शक्तिशाली श्लोक का करें पाठ

    Vijayadashami 2023 विजयादशमी का पर्व पूरे देश में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन लोग भगवान श्री राम की पूजा करते हैं। इस साल यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यानी 24 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा। अगर इस दिन भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं तो उन्हें प्रभु श्री राम के साथ - साथ मां दुर्गा का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 21 Oct 2023 11:32 AM (IST)
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    Vijayadashami 2023

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vijayadashami 2023: सनातन धर्म में विजयादशमी का पर्व बेहद खास माना गया है। पौराणिक कथाओं अनुसार, यह पर्व रावण पर भगवान राम की विजय का प्रतीक है। यह दिन पूरे देश में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन लोग भगवान श्री राम की पूजा करते हैं। इस साल यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यानी 24 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा।

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    अगर इस दिन भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं, तो उन्हें प्रभु श्री राम के साथ - साथ मां दुर्गा का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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    विजयादशमी समय -

    दशमी तिथि आरंभ - 23 अक्टूबर 2023 - शाम 05:44 बजे से

    दशमी तिथि समापन - 24 अक्टूबर, 2023 - 03:14 तक

    विजयादशमी का महत्व

    हिंदू धर्म में दशहरा का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। यह त्योहार पूरे देश में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर, लोग भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हैं। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दशहरा नवरात्रि उत्सव के दसवें दिन मनाया जाता है।

    साथ ही यह दिन राक्षस महिषासुर पर विजय का भी स्मरण कराता है। यह पर्व विजय से परिपूर्ण है इसीलिए इसे विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसके ठीक बीस दिन बाद दिवाली मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान राम रावण का वध करने के बाद अपने घर अयोध्या लौटे थे।

    रामचरितमानस के इन शक्तिशाली श्लोक से मिलेगा अभय का वरदान -

    ''जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना''॥

    ''मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥ काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा''॥

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।