Vat Savitri Vrat 2024: यमराज से ऐसे अपने पति के प्राण बचा लाई थीं सावित्री, मांगा था ये दिव्य वरदान
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2024) बेहद शुभ माना जाता है। इस बार यह 6 जून दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं इस दिन का उपवास रखती हैं उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत, जिसे सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इस साल यह व्रत 6 जून, 2024 को रखा जाएगा। इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
सत्यवान अल्पायु थे
पौराणिक कथा के अनुसार, राजर्षि अश्वपति की एक बेटी थी, जिसका नाम सावित्री था। कुछ साल बीतने के बाद जब उनकी लाडली बेटी बड़ी हुई, तो उन्होंने उसका विवाह करने को सोचा। अपने बेटी के लिए उन्होंने सुयोग्य वर की तलाश की लेकिन उनकी यह खोज पूरी नहीं हुई, फिर उन्होंने अपनी बेटी से मनचाहा वर ढूंढने को कहा।
कुछ समय बीतने के बाद सावित्री द्युमत्सेन के बेटे सत्यवान से मिलीं, जिससे विवाह की इच्छा लेकर वो अपने पिता के पास पहुंची। सत्यवान अल्पायु थे, जिसकी जानकारी देवर्षि नारद ने उनके पिता राजा अश्वपति को दी।
यमराज के पीछे चल पड़ी थीं सावित्री
इस बात को सुनकर उन्होंने सावित्री को इस शादी को न करने की सलाह दी। इसके बावजूद सावित्री नहीं मानी और उन्होंने विधि अनुसार सत्यवान संग विवाह रचाया। शादी के कुछ समय के पश्चात ही उनके पति की मृत्यु हो गई, जिनकी आत्मा को लेकर यमराज धरती से परलोक जाने लगे,
लेकिन यह देखकर सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चल पड़ीं। यमराज ने उन्हें बहुत रोकने की कोशिश की। परंतु सावित्री नहीं मानी। इसके बाद यमराज ने उन्हें तीन वरदान मांगने का प्रलोभन दिया।
सावित्री ने मांगा था ऐसा वर
अपने पहले वरदान में सावित्री ने दिव्यांग सास-ससुर के लिए आंख की ज्योति मांगी। दूसरे वर में उन्होंने खोया हुआ राज-पाट मांगा। वहीं, तीसरे वर में सावित्री ने अपनी तेज बुद्धि का प्रयोग करते हुए कहा- यदी आप मुझसे प्रसन्न हैं, तो मुझे सौ पुत्रों की मां बनने का आशीर्वाद दें। उनके इस वर को सुनने के बाद यमराज तथास्तु कह आगे बढ़ने लगे।
इसके बाद भी सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलती रहीं। उन्हें अपने पीछे आता देख यम देव ने कहा- 'हे देवी ! अब आपको क्या चाहिए ?' उनकी बात सुनकर सावित्री ने कहा - 'आपने मुझे मां बनने का वरदान तो दे दिया, लेकिन बिना पति के मैं मां कैसे बन सकती हूं?' यह सुन यमराज स्तब्ध रह गए और उन्होंने उसी क्षण सत्यवान को अपने पाश से मुक्त कर दिया।
तभी से विवाहित महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं, ताकि सावित्री की तरह उन्हें भी सौभाग्यवती होने का वरदान मिल सके।
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