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    Vat Savitri Vrat 2021: क्यों रखते हैं वट सावित्री व्रत? जानें इसका धार्मिक महत्व

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 10 Jun 2021 07:11 AM (IST)

    Vat Savitri Vrat 2021 सावित्री को भारतीय संस्कृति में आदर्श नारी और पतिव्रता के लिए ऐतिहासिक चरित्र माना जाता है। पति के प्राणों की रक्षा के लिए वे यमराज के पीछे पड़ गईं और अपने पति को जीवनदान देने के लिए विवश कर दिया।

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    Vat Savitri Vrat 2021: क्यों रखते हैं वट सावित्री व्रत? जानें इसका धार्मिक महत्व

    Vat Savitri Vrat 2021: सावित्री को भारतीय संस्कृति में आदर्श नारी और पतिव्रता के लिए ऐतिहासिक चरित्र माना जाता है। पति के प्राणों की रक्षा के लिए वे यमराज के पीछे पड़ गईं और अपने पति को जीवनदान देने के लिए विवश कर दिया। इस वजह से हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने का विधान है। हिंदू विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं वट सावित्री व्रत के बारे में।

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    वट सावित्री व्रत कहां और कब मनाते हैं

    उत्तर भारत जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्‍या को मनाया जाता है। जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी भारतीय राज्यों में विवाहित महिलाएं उत्तर भारतीयों की तुलना में 15 दिन बाद अर्थात् ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को समान रीति से वट सावित्री व्रत रखती हैं।

    वट सावित्री व्रत का महत्व

    सावित्री व्रत कथा के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे ही उनके सास-ससुर को दिव्य ज्योति, छिना हुआ राज्य तथा उनके मृत पति के शरीर में प्राण वापस आए थे। पुराणों के अनुसार, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देवताओं का वास है। इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। अतः वट वृक्ष को ज्ञान, निर्वाण व दीर्घायु का पूरक माना गया है।

    वट सावित्री व्रत के दिन करें ये काम

    महिलाएं व्रत-पूजन कर कथा कर्म के साथ-साथ वट वृक्ष के आसपास सूत के धागे परिक्रमा के दौरान लपेटती हैं, जिसे रक्षा कहा जाता है। साथ ही पूजन के बाद अपने पति को रोली और अक्षत् लगाकर चरणस्पर्श कर प्रसाद वितरित करती हैं। अतः पतिव्रता सावित्री के अनुरूप ही, अपने सास-ससुर की भी उचित पूजा और सम्मान करें।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'