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    Vat Purnima Vrat 2024: शाम के समय इस विधि से करें वट पूर्णिमा की पूजा, मिलेगा व्रत का पूरा फल

    Updated: Fri, 21 Jun 2024 02:43 PM (IST)

    वट सावित्री पूर्णिमा व्रत बेहद शुभ माना जाता है। यह तीन दिनों का कठिन व्रत होता हैं जो दो दिन पहले से शुरू हो जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का पालन करने से ब्रह्मा विष्णु महेश का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं -

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    Vat Purnima Vrat 2024: वट पूर्णिमा का धार्मिक महत्व -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वट सावित्री पूर्णिमा व्रत सबसे महत्वपूर्ण हिंदू पर्वों में से एक है। इस दौरान महिलाएं कठिन व्रत का पालन करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही पतियों की उम्र लंबी होती है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को रखा जाता है। इस महीने यह (Vat Purnima Vrat 2024) 21 जून, 2024 यानी आज के दिन रखा जा रहा है।

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    वट पूर्णिमा तिथि और समय

    पूर्णिमा तिथि की शुरुआत - 21 जून, 2024 सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर

    पूर्णिमा तिथि का समापन - 22 जून 2024 सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर।

    पूर्णिमा स्नान-दान मुहूर्त

    विजय मुहूर्त - 22 जून दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक

    अमृत काल - 22 जून सुबह 11 बजकर 37 मिनट से दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक।

    वट पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

    इस दिन को सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है। इसका सनातम धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। इस शुभ तिथि पर हिंदू विवाहित महिलाएं अपने पतियों की सलामती के लिए कठिन व्रत का पालन करती हैं। इसके साथ शाम को सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ करती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विधान है, क्योंकि इस वृक्ष में त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास है। इस दिन का उपवास कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए कर सकती हैं।

    वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

    महिलाएं शाम के समय पवित्र स्नान करें। पारंपरिक लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात सोलह शृंगार करें। फिर भोग प्रसाद के लिए सात्विक भोग तैयार करें। कच्चा सूत, जल से भरा कलश, हल्दी, कुमकुम, फूल और पूजन की सभी सामग्री एकत्र करें। वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं और उसके समक्ष देसी घी का दीया जलाएं। इसके बाद सभी पूजन सामग्री एक-एक करके अर्पित करें। फिर पेड़ के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करें और उसके चारों ओर सफेद कच्चा सूत बांधें।

    वट सावित्री कथा का पाठ अवश्य करें। अंत में आरती से पूजा का समापन करें। भगवान का आशीर्वाद लें और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।

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