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    आज है Vasu Baras 2024, नोट करें पूजा विधि-महत्व एवं शुभ मुहूर्त

    Updated: Mon, 28 Oct 2024 09:41 AM (IST)

    वसुबारस का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। यह दिन उर्वरता और प्रचुरता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह पर्व (Vasu Baras 2024) आज मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गौ माता की पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही जीवन सुखी रहता है तो आइए इस दिन (Govatsa Dwadashi 2024) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Govatsa Dwadashi 2024 : वसुबारस पूजा नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वसुबारस का हिंदू धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दिन को दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में मनाया जाता है। वहीं, उत्तर के क्षेत्रों में इसे गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi 2024) के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि आज यानी 28 अक्टूबर 2024 को वसुबारस मनाया जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन (Vasu Baras 2024) का उपवास रखने और पूजा-पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, तो आइए इस दिन के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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    वसुबारस पूजा नियम (Vasu Baras 2024 Puja Vidhi)

    • इस दिन गौ माता की पूजा करें और उनके प्रति आभार व्यक्त करें।
    • उन्हें नहलाएं उनके माथे पर सिन्दूर का टीका, पीले वस्त्र और फूलों की माला अर्पित करें।
    • यदि आपके पास गाय नहीं है, तो पूजा के लिए गौशाला जा सकते हैं या मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग कर सकते हैं
    • शाम की आरती करें और शाम के समय भी उनकी पूजा-पाठ करें।
    • भोग के रूप में उन्हें अंकुरित मूंग और चने जरूर चढ़ाएं।
    • भगवान कृष्ण भी गौ माता के प्रति अपार स्नेह रखते थे इसलिए उनका अपमान गलती से भी न करें।
    • इस दिन महिलाएं अपने संतान के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उपवास रखती हैं और गौ माता की प्रार्थना करती हैं।

    वसुबारस पर रंगोली का क्या महत्व है? (Vasu Baras 2024 Rangoli Significance)

    वसुबारस दिवाली त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है, इसलिए इस पवित्र दिन पर, लोग अपने- अपने घरों के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाते हैं। रंगोली बनाना एक महत्वपूर्ण रिवाज है, जो सकारात्मकता का प्रतीक भी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है इस मौके पर रंगोली के लिए प्राकृतिक रंगों, चावल के आटे, फूलों और अन्य सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। इनमें अक्सर कमल के फूल, गाय, मोर, या मां लक्ष्मी के चरण कमल जैसी पवित्र छवियों को बनाया जाता है।

    शुभ मुहूर्त (Vasu Baras 2024 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, अमृत काल सुबह 08 बजकर 12 मिनट से सुबह 10 बजे तक रहेगा। फिर विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इसके बाद गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। आप इस दौरान पूजा-पाठ व अन्य शुभ कार्य कर सकते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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