Varuthini Ekadashi 2025: वरूथिनी एकादशी पर ऐसे करें मां तुलसी की भव्य आरती, दूर होगी आर्थिक तंगी
वरूथिनी एकादशी का व्रत हर साल भक्ति भाव के साथ रखा जाता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस साल वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) आज यानी 24 अप्रैल 2025 को मनाई जा रही है। वहीं इस दिन भगवान कृष्ण और देवी तुलसी की भव्य आरती जरूर करनी चाहिए जो इस प्रकार हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में वरूथिनी एकादशी बहुत फलदायी मानी गई है। यह श्री हरि को समर्पित है। यह हर साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) 24 अप्रैल, 2025 यानी आज के दिन मनाई जा रही है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी दुखों का अंत होता है। वहीं, इस मौके पर तुसली पूजन का भी महत्व है। ऐसे में इस दिन सुबह उठें और स्नान करें। फिर भगवान कृष्ण और तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं।
इसके बाद उनके वैदिक मंत्रों का जाप और भव्य आरती करें। भोग में पंचामृत, ऋतु फल और पंजीरी अर्पित करें। ऐसा करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होगी। इसके साथ ही जीवन सुखमय बीतेगा।
।।तुलसी माता की आरती।। (Maa Tulsi Ki Aarti)
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।
।।हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी।। (Hey Gopal Krishna Karu Aarti Teri)
हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी,
तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं,
सांझ सवेरे तेरे गुण गाउँ,
प्रेम में रंगी मैं रंगी भक्ति में तेरी,
हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी ।
ये माटी का कण है तेरा,
मन और प्राण भी तेरे,
मैं एक गोपी, तुम हो कन्हैया,
तुम हो भगवन मेरे,
हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी ।
ओ कान्हा तेरा रूप अनुपम,
मन को हरता जाए,
मन ये चाहे हर पल अंखिया,
तेरा दर्शन पाये,
दर्श तेरा, प्रेम तेरा, आस है मेरी,
हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी ।
हे गोपाल कृष्ण करूँ आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी,
तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं,
सांझ सवेरे तेरे गुण गाउँ,
प्रेम में रंगी मैं रंगी भक्ति में तेरी,
हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,
हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी।
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