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    Vaishakh Month 2023: कब से शुरू हो रहा है वैशाख मास? जानिए तिथि, समय और आध्यात्मिक महत्व

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Fri, 31 Mar 2023 01:18 PM (IST)

    Vaishakh Month 2023 हिन्दू नववर्ष का दूसरा महीना वैशाख मास जल्द ही शुरू होने वाला है। हिन्दू धर्म में इस मास का विशेष महत्व है। इस विशेष मास में स्नान ...और पढ़ें

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    Vaishakh Month 2023: जानिए कब से शुरू हो रहा है वैशाख महीना?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Vaishakh Month 2023 Date and Significance: जल्द ही नवसंवत्सर के पहले मास यानि चैत्र मास का समापन होने जा रहा है। बता दें कि चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के बाद वैशाख मास का शुभारंभ हो जाता है। हिन्दू धर्म में इस महीने का विशेष महत्व है और इस मास में भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख मास में अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती और सीता नवमी इत्यादि जैसे प्रमुख व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। आइए जानते हैं कब से शुरू हो रहा है वैशाख मास और इसका महत्व।

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    वैशाख मास 2023 कब से हो रहा है शुरू? (Vaishakh Month 2023 Start Date)

    हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा तिथि का समापन 06 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर हो रहा है और वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि इसी समय शुरू हो जाएगी। लेकिन उदया तिथि के अनुसार वैशाख मास का शुभारंभ 07 अप्रैल 2023, शुक्रवार के दिन होगा और इसका समापन 5 मई को जाएगा।

    वैशाख मास का पूजा महत्व (Vaishakh Month Significance)

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास, भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है। इस मास में स्नान-दान, जाप और तप करने से साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। ज्योतिषविदों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्र विशाखा नक्षत्र में होते हैं और इस नक्षत्र के स्वामी गुरु और देवता इंद्र हैं। इसलिए इस मास में चंद्र देव की उपासना को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

    बता दें कि वैशाख मास की चर्चा स्कंद पुराण में भी की गई है, जिसमें बताया गया है कि "न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।" अर्थात- वैशाख मास के समान कोई मास नहीं है, सतयुग के समान अन्य कोई युग नहीं है और वेदों के समान अन्य कोई शास्त्र नहीं है और गंगा के समान कोई तीर्थ मौजूद नहीं है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।