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    Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर इन विशेष चीजों का करें दान, धन- संपदा में होगी अपार वृद्धि

    वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2024) का दिन किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हालांकि यह अवधि धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि यह दिन पवित्र नदियों में स्नान कालसर्प दोष शनि दोष गृह दोष निवारण पितरों का तर्पण और दान आदि के लिए अच्छा माना जाता है आइए जानते हैं इस दिन किन चीजों का दान करना चाहिए?

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 27 Apr 2024 10:43 AM (IST)
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    Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख माह में करें इन चीजों का दान

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख माह में आने वाली अमावस्या का बहुत महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हालांकि यह अवधि धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि यह दिन पवित्र नदियों में स्नान, कालसर्प दोष (Kaal sarp dosh), शनि दोष (Shani dosh), गृह दोष निवारण, पितरों का तर्पण और दान आदि के लिए अच्छा माना जाता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

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    वैशाख मास अमावस्या तिथि और समय

    वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 07 मई, 2024 दिन मंगलवार को प्रातः 11 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 08 मई बुधवार प्रात: 08 बजकर 51 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए वैशाख अमावस्या 8 मई दिन बुधवार को मनाई जाएगी।

    वैशाख अमावस्या में करें इन चीजों का दान

    वैशाख अमावस्या के दिन दान और पुण्य का खास महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जितना हो सके उतना अधिक दान करना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत हो चुकी है। इसलिए इस तिथि पर जल का दान करना चाहिए। इसके साथ ही पानी की व्यवस्था करना और पशु-पक्षियों के लिए दाना आदि की व्यवस्था करनी चाहिए।

    इसके अलावा जरूरतमंदों को खाना खिलाना चाहिए। इससे घर में बरकत का वास होता है और जीवन में सुख और शांति आती है।

    वैशाख अमावस्या पर करें इन मंत्रों का जाप

    • ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

      ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

    • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
    • ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'