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शुरू हो गया है वैशाख माह जाने इसका महत्व, इन मंत्रों का करें जाप

20 अप्रैल 2019 से हिंदी कैलेंडर का दूसरा महीना यानि वैशाख मास शुरू हो चुका है। जानते हैं इस माह का महत्व और वे मंत्र जिनके जाप से मिलेगा विशेष लाभ।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 03:04 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 10:46 AM (IST)
शुरू हो गया है वैशाख माह जाने इसका महत्व, इन मंत्रों का करें जाप
शुरू हो गया है वैशाख माह जाने इसका महत्व, इन मंत्रों का करें जाप

 हिंदी कैलेंडर का दूसरा महीना 

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20 अप्रैल 2019 से शुरू हुए वैशाख मास पर गुरु का प्रभाव माना जाता है। हिंदी कैलेंडर का ये दूसरा महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अप्रैल - मई में आता है। विशाखा नक्षत्र से सम्बन्ध होने के कारण इसका नाम वैशाख पड़ा। इस महीने में भगवान विष्णु , परशुराम और देवी की उपासना विशेष रूप से की जाती । कहते हैं कि इस माह विधि विधान से पूजा करने पर धन और पुण्य की प्राप्ति होती है। पूरे साल में केवल एक बार इसी महीने श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं। इस महीने में गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। ये महीना 20 अप्रैल से 18 मई तक रहेगा पंडितों के अनुसार वैशाख माह में दान पुण्य का भारी महत्व होता है।

दान पुण्य करें

वैशाख को पुण्य प्राप्ति का माह मानते हैं इसीलिए इस महीने में दान करने का बहुत महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने दान करने से गरीबी से मुक्ति मिलती है। इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. मान्यता है कि वैशाख के महीने में पूजा आराधना कर के जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है. पुराणों में कहा गया है कि "न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्"। जिसका अर्थ है कि वैशाख के समान कोई महीना नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। माना जाता है कि जितना पुण्य सब दानों से मिल कर होता है और जो फल सब तीर्थों के दर्शन से मिलता है, उसके बराबर पुण्य और फल की प्राप्ति वैशाख मास में केवल जलदान से हो जाती है, इसलिए इस माह में प्याऊ खुलवाना सर्वोत्म माना जाता है। 

मुख्य व्रत और त्यौहार 

वैशाख महीने में अनेक व्रत और त्यौहार आते हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं।

वरुथिनी एकादशी – वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत 30 अप्रैल को मंगलवार के दिन है।

वैशाख अमावस्या – अमावस्या को स्नान दान व तर्पण के लिये बहुत ही शुभ माना जाता है। वैशाख अमावस्या 4 मई को है। इस दिन शनिवार होने से यह शनि अमावस्या भी है जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

अक्षय तृतीया – वैसाख मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अक्षय तृतीया का ही माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण ने अवतार लिया था। भगवान परशुराम की जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। अक्षय तृतीया अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 7 मई को है।

सीता नवमी – वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी मनायी जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता सीता धरती मां की कोख से प्रकट हुई थी जो हल जोतते समय मिथिला नरेश जनक को मिली थी और जनकपुत्री के रूप में जानी गई। माता सीता को मां लक्ष्मी का ही अवतार माना जाता है जिन्होंने भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम के लिये अवतार धारण किया। सीता नवमी 13 मई को मनाई जायेगी।

मोहिनी एकादशी – वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मोहिनी एकादशी का उपवास भी बहुत खास माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उपासना व व्रत आदि का विधान है। मोहिनी एकादशी 15 मई को है।

वैशाख पूर्णिमा – पूर्णिमा चंद्र मास का अंतिम दिन माना जाता है। पूर्णिमा को उपवास रखने का विधान भी होता है। इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी होती है। वैशाख मास की पूर्णिमा 18 मई को है।

इन मन्त्रों का करें जाप 

वैशाख माह नें लाभ प्राप्ति के लिए विभिन्न मंत्रों के जाप का महत्व होता है। जैसे आर्थिक लाभ के लिए "ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः" का जाप करें। संतान प्राप्ति के लिए "ॐ क्लीं कृष्णाय नमः" और सर्वकल्याण के लिए "ॐ नमो नारायणाय" का जाप करें। 


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