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    Mangal Kavach: शीघ्र विवाह के लिए मंगलवार के दिन करें ये स्तुति, जल्द लगेगी हाथों में मेहंदी

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 12 Jun 2023 04:01 PM (IST)

    Mangal Kavach ज्योतिषियों की मानें तो विवाह भाव में शुभ ग्रह के रहने पर शीघ्र शादी हो जाती है। वहीं अशुभ ग्रहों के चलते शादी में देर होती है। सामान्यतः कालसर्प दोष पितृ दोष मंगल दोष अंगारक दोष और गुरु चांडाल दोष की वजह से शादी में बाधा आती है।

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    Mangal Kavach: शीघ्र विवाह के लिए मंगलवार के दिन करें ये स्तुति, जल्द लगेगी हाथों में मेहंदी

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Mangal Kavach: सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है। ज्योतिष कुंडली देखकर विवाह की गणना करते हैं। इससे जातक की शादी की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाती है। अगर किसी जातक की शादी में बाधा आ रही है, तो ज्योतिष कुंडली में ग्रह दशा का विश्लेषण करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो विवाह भाव में शुभ ग्रह के रहने पर शीघ्र शादी हो जाती है। वहीं, अशुभ ग्रहों के चलते शादी में देर होती है। सामान्यतः कालसर्प दोष, पितृ दोष, मंगल दोष, अंगारक दोष और गुरु चांडाल दोष की वजह से शादी में बाधा आती है। साथ ही अन्य ग्रहों और दोषों का भी विचार किया जाता है। मांगलिक होने पर जातक की शादी में बहुत बाधा आती है। कुंडली में बारह भाव हैं। इनमें प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में मंगल रहने पर जातक मांगलिक कहलाता है। मांगलिक जातक की शादी में बाधा आती है। अतः मंगल दोष का निवारण अनिवार्य है। अगर आपकी शादी में भी बाधा आ रही है, तो शीघ्र शादी के लिए मंगलवार के दिन पूजा के समय मंगल कवच का अवश्य पाठ करें। मंगल कवच के पाठ से शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। आइए, मंगल कवच का पाठ करें-

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    मंगल ग्रह कवच

    अथ मंगल कवचम्

    अस्य श्री मंगलकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः ।

    अनुष्टुप् छन्दः । अङ्गारको देवता ।

    भौम पीडापरिहारार्थं जपे विनियोगः।

    रक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।

    धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥ १ ॥

    अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः

    श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥ २ ॥

    नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।

    भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥ ३ ॥

    वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।

    कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥ ४ ॥

    जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।

    सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥ ५ ॥

    या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।

    भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥ ६ ॥

    सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।

    भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥

    रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥ ७ ॥

    ॥ इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे मंगलकवचं संपूर्णं ॥

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।