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    Udaya Tithi: क्या होती है उदया तिथि, जिसके आधार पर मनाए जाते हैं कुछ व्रत-त्योहार

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 01:06 PM (IST)

    हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने में तीस दिन होते हैं जिसकी गणना सूरज और चंद्रमा की गति के आधार पर की जाती है। पंचांग के आधार पर ही भारत के अधिकतर राज्यों में व्रत और त्योहार भी मनाए जाते हैं। वहीं चंद्रमा से संबंधित त्योहारों में चंद्रोदय की तिथि देखी जाती है। आज हम आपको उदया तिथि से संबंधित कुछ बातें बताने जा रहे हैं।

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    Udaya Tithi Importence उदया तिथि में मनाए जाने वाले व्रत-त्योहार।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चन्द्रमा की कलाओं के ज्यादा या कम होने के आधार पर हर महीने को कृष्ण और शुक्ल पक्ष दो भागों में बांटा गया है। पूर्णिमा से अमावस्या के बीच के 15 दिनों को कृष्ण पक्ष कहा जाता है, वहीं अमावस्या से लेकर पूर्णिमा के बीच आने वाले 15 दिनों को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। कुछ त्योहार उदया तिथि (Udaya Tithi Importence) में मनाए जाते हैं, जिसके पीछे एक बहुत ही खास कारण है। चलिए जानते हैं इस बारे में।

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    क्या है उदया तिथि -

    उदया तिथि वह तिथि होती है, जो सूर्योदय सूर्योदय के साथ शुरू होती है। जब कोई तिथि सूर्योदय के साथ प्रथम प्रहर में प्रारंभ होती है, तो उसे उदया तिथि कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई तिथि दोपहर या शाम के समय शुरू हुई है और वह अगले दिन सुबह, दोपहर या शाम को समाप्त हो रही है, तो ऐसे में उदया तिथि में मनाए जाने वाला पर्व या व्रत अगले दिन मान्य होगा।

    क्योंकि अगले दिन वह तिथि सूर्योदय के समय विद्यमान थी। ऐसे में भले ही तिथि उस दिन जल्दी समाप्त हो जाए, लेकिन वह व्रत या त्योहार पूरे दिन प्रभावकारी माना जाता है।

    (Picture Credit: Freepik)

    यह है कारण

    उदया तिथि में कुछ व्रत-त्योहार मनाने के पीछे यह कारण है कि हिंदू धर्म में सूर्योदय के समय को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। साथ ही हिंदू पंचांग के अनुसार, दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होती है, उदया तिथि में ही माना जाता है। के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। सूर्योदय के दौरान वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है। ऐसे में उदया तिथि को ध्यान में रखकर व्रत या पर्व का साधक को शुभ फल प्राप्त होता है।

    (Picture Credit: Freepik)

    उदया तिथि में मनाए जाने वाले व्रत-त्योहार - गणेश चतुर्थी, रामनवमी, हनुमान जयंती, रक्षाबंधन, भाई दूज, गोवर्धन पूजा, पितृ पक्ष और छठ पूजा आदि।

    रात्रि में मनाए जाने वाले व्रत-त्योहार - दिवाली, दशहरा, नरक चतुर्दशी, नवरात्र, शिवरात्रि, होली, जन्माष्टमी और लोहड़ी आदि।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।