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    Tulsi Vivah 2021:तुलसी विवाह से मिलता है सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद, जानें तिथि,मुहूर्त और पूजन विधि

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Fri, 12 Nov 2021 08:23 AM (IST)

    Tulsi Vivah 2021 कार्तिक माह में तुलसी विवाह का आयोजन करने से कन्यादान के समतुल्य फल मिलता है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। आइए जानते हैं इस साल तुलसी विवाह की तिथि मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में.....

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    Tulsi Vivah 2021:तुलसी विवाह से मिलता है सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद, जानें तिथि,मुहूर्त और पूजन विधि

    Tulsi Vivah 2021:कार्तिक माह की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जाग कर, पुनः अपना कार्यभार संभालते हैं। इस दिन से चतुर्मास की समाप्ति होती है और विवाह, मुण्डन आदि सभी मांगलिक कार्य होना शुरू हो जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार इसके अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि योग निद्रा से जाग कर भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी जी की ही आवाज सुनते हैं। इसलिए कार्तिक माह में तुलसी पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस माह में तुलसी विवाह का आयोजन करने से कन्यादान के समतुल्य फल मिलता है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। आइए जानते हैं इस साल तुलसी विवाह की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में.....

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    तुलसी विवाह की तिथि और मुहूर्त

    पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक माह में भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप और मां तुलसी के विवाह का विधान है। देवात्थान एकादशी के दिन चतुर्मास की समाप्ति होती इसके अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल देवोत्थान एकादशी 14 नवंबर को पड़ रही है तथा तुलसी विवाह का आयोजन 15 नवंबर, दिन सोमवार को किया जाएगा। इस दिन द्वादशी तिथि प्रातः 06 बजकर 39 मिनट से 16 नवंबर को दिन मंगलवार को सुबह 08 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन ही तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा।

    तुलसी विवाह की पूजन विधि

    कार्तिक मास में देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। तुलसी विवाह के लिए एक चौकी पर आसन बिछा कर तुलसी जी को और शालीग्राम की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। चौकी के चारों और गन्ने का मण्डप सजाए और कलश की स्थापना करें। सबसे पहले कलश और गौरी गणेश का पूजन करना चाहिए। इसके बाद माता तुलसी और भगवान शालीग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, माला, फूल अर्पित करें। तुलसी जी को श्रृगांर के समान और लाल चुनरी चढ़ाई जाती है। ऐसा करने से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इसके बाद तुलसी मंगाष्टक का पाठ करें। हाथ में आसन सहित शालीग्राम जी को लेकर तुलसी जी के सात फेरे लेने चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु और तुलसी जी की आरती का पाठ करना चाहिए। पूजन के बाद प्रसाद का वितरण करें।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'