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    Tula Sankranti 2025: तुला संक्रांति पर क्यों है जरूरी दान? मिलते हैं ये शुभ परिणाम

    By digital deskEdited By: Suman Saini
    Updated: Thu, 09 Oct 2025 04:50 PM (IST)

    सूर्य देव के 12 राशियों में प्रवेश करने के आधार पर साल में कुल 12 संक्रांति मनाई जाती हैं। शुक्रवार, 17 अक्टूबर को सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में इस दिन को तुला संक्रांति (Tula Sankranti 2025) के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन पर दान आदि करने का विशेष महत्व माना गया है। चलिए एस्ट्रोलॉजर दिव्या गौतम से जानते हैं इस बारे में।

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    तुला संक्रांति पर दान क्यों महत्वपूर्ण है?

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। सनातन धर्म में संक्रांति का दिन हमेशा से ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। यह वह समय होता है जब सूर्य देव अपनी राशि बदलते हैं और नई ऊर्जा, संतुलन और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। तुला संक्रांति तब मनाई जाती है, जब सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन विशेष रूप से दान (Tula Sankranti 2025 Daan), पूजा और पुण्य कार्यों के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है। इस दिन का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह हमें अपने जीवन में संतुलन, अनुशासन और समाज सेवा की प्रेरणा भी देता है।

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    तुला संक्रांति पर दान क्यों महत्वपूर्ण है?

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुला संक्रांति का दिन दान और पुण्य कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य देव का तुला राशि में प्रवेश जीवन में संतुलन, अनुशासन और सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक है। तुला संक्रांति पर किया गया दान सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना फलदायी होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

    विशेष रूप से अन्न, वस्त्र, ताम्रपत्र, छाता, जूते और दक्षिणा का दान अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यह दान न केवल जरूरतमंदों की मदद करता है, बल्कि दान करने वाले के जीवन में भी सुख, शांति और समृद्धि लाता है। तुला संक्रांति के दिन किया गया दान मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्ध करता है और करुणा, दया और समाज सेवा की भावना को विकसित करता है।

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    तुला दान का असली महत्व क्या है?

    तुला दान एक पवित्र और खास दान-प्रथा है। इसमें व्यक्ति अपने वजन के बराबर कोई वस्तु जैसे सोना, चांदी, अनाज, कपड़े, ताम्रपत्र, जूते, छाता या जरूरतमंदों के काम की कोई चीज दान करता है। यह दान अक्सर ब्राह्मणों, गरीबों, अनाथों, गौशालाओं या मंदिरों में दिया जाता है। ‘तुला’ का मतलब है ‘तराजू’, जो संतुलन और न्याय का प्रतीक है।

    तुला दान सिर्फ दूसरों की मदद करने का तरीका नहीं है, बल्कि यह जीवन में संतुलन, संयम और धर्म की भावना भी बढ़ाता है। इसे करने से पुराने कर्म शुद्ध होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। तुला दान से आत्मा को शांति, जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य मिलता है। साथ ही दाता का मन और आत्मा भी पवित्र और समृद्ध बनते हैं।

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।