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    त्रिपुरसुंदरी; तीनों लोकों में सबसे सुंदर देवी

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 26 Mar 2015 02:29 PM (IST)

    आदि मां भगवती और उनके पराक्रम से जुड़े हुए हरिद्वार में कई स्थल हैं। इन्हीं में से एक हैं राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का मंदिर। मान्यता है कि 'त्रिपुरÓ राक्षस का वध कर देवी का नाम त्रिपुर सुंदरी पड़ा था। इस राक्षस का वध कर देवी ने यहीं विश्राम किया था।

    हरिद्वार। आदि मां भगवती और उनके पराक्रम से जुड़े हुए हरिद्वार में कई स्थल हैं। इन्हीं में से एक हैं राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का मंदिर। मान्यता है कि 'त्रिपुरÓ राक्षस का वध कर देवी का नाम त्रिपुर सुंदरी पड़ा था। इस राक्षस का वध कर देवी ने यहीं विश्राम किया था। यह मंदिर भी हरिद्वार के सिद्धपीठों में से एक है।

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    दक्षनगरी कनखल के जगद्गुरु आश्रम में स्थापित राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के मंदिर में भी नवरात्रों के दिनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए आते हैं। मंदिर के पीछे की मान्यता भी सतयुग से ही जुड़ी है। कहते हैं कि त्रिपुर राक्षस का पृथ्वी, आकाश और पाताल लोक में राज था। उसने देवताओं को युद्ध में पराजित कर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। तीनों लोकों पर कब्जा होने के कारण ही उस राक्षस को त्रिपुरा नाम से जाना जाता था।

    देवताओं ने जब देवी का आह्वान किया तो देवी ने देवताओं की रक्षा करने और तीनों लोकों से राक्षस का अधिपत्य मिटाने के लिए त्रिपुरा नामक राक्षस का वध किया। राक्षस का वध करने के पश्चात देवी इसी स्थान पर अंतध्र्यान हुई थीं। त्रिपुर सुंदरी देवी को उस समय त्रिपुरा सुंदरी नाम दिया गया। जिसका अर्थ तीनों लोकों में सबसे सुंदर देवी भी है।

    देवी की पूजा अर्चना के लिए धर्मनगरी सहित अन्य स्थानों से भी भक्त आते हैं।