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    Balram Jayanti 2021: आज है बलराम जंयती, जानिए उनके जन्म की पौराणिक कथा

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Sat, 28 Aug 2021 06:00 AM (IST)

    Balram Jayanti 2021 भगवान विष्णु के शेषावतार बलराम का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस साल बलराम जंयती 28 अगस्त दिन शनिवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं भगवान बलराम के जन्म की पौराणिक कथा के बारे में....

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    आज है बलराम जंयती, जानिए उनके जन्म की पौराणिक कथा

    Balram Jayanti 2021: भगवान विष्णु के शेषावतार बलराम का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी माह की अष्टमी तिथि के दिन विष्णु जी के आठवें अवतार भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। बलराम ने भगवान कृष्ण के बड़े भाई के रूप जन्म लिया था। बलराम जी को हलधर मतलब हलधारण करने वाले के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए उनकी जयंती को हल षष्ठी के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन हल की जुताई से उगे हुए अनाज नहीं खाए जाते हैं। इस साल बलराम जंयती 28 अगस्त, दिन शनिवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं भगवान बलराम के जन्म की पौराणिक कथा के बारे में....

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    बलराम जी के जन्म की पौराणिक कथा

    भागवत पुराण के अनुसार बलराम या संकर्षण को भगवान विष्णु का शेषावतार माना जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का अंश माने जाने वाले शेषनाग, उनके हर अवतार के साथ अवश्य धरती पर आते हैं। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में शेषनाग ने बलराम जी के नाम से अवतार लिआ था। कथा के अनुसार जब मथुरा नरेश कंस अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को विदा कर रहा था, उसी समय आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी में देवकी और वासुदेव की आंठवी संतान को कंस का काल बताया था।

    माता रोहणी के गर्भ से बलराम का जन्म

    इसलिए कंस ने देवकी और वासुदेव को कारगार में कैद कर दिया था। कंस ने एक-एक करके उनकी छह सांतानों को मार दिया था। लेकिन जब सांतवी संतान के रूप में शेषवतार भगवान बलराम गर्भ में स्थापित हुए। तो श्री हरि ने योग माया से उन्हें माता रोहणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया था। इसलिए उनका जन्म भगवान कृष्ण के बड़े भाई के रूप में नंदबाबा के यहां हुआ। बलराम मल्लयुद्ध, कुश्ती और गदायुद्ध में पारंगत थे तथा हाथ में हल धारण करते थे। इसलिए उन्हे हलधर भी कहा जाता है। इनके जन्म को हल षष्ठी के रूप में मनाया जाता है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

     

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