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    Tilak In Hindu Religion: हिंदू धर्म में बताए गए हैं कितने प्रकार के तिलक, जानिए क्या हैं इनका महत्व

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Mon, 12 Jun 2023 11:32 AM (IST)

    हिंदू धर्म में माथे को खाली छोड़ना शुभ नहीं समझा जाता। इसलिए शास्त्रों में तिलक लगाने का प्रावधान है। तिलक लगाने से पूजा का फल तो पूर्ण रूप से मिलता ही है। साथ ही तिलक लगाने के स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।

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    Tilak In Hindu Religion हिंदू धर्म में बताए गए हैं कितने प्रकार के तिलक।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Tilaka In Hindu Religion: पूजा-पाठ के दौरान तिलक लगाना हिंदू संस्कृति का एक जरूरी हिस्सा है। सिर्फ माथे पर नहीं बल्कि कंठ, नाभि, पीठ और भुजाओं पर भी तिलक लगाने का महत्व है। सनातन धर्म में कई तरह का तिलक लगाया जाता है। जिन्हें वैष्णव, शैव और ब्रह्म तिलक के नाम से जाना जाता है। इन सभी प्रकार के तिलक का अपना एक महत्व है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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    कैसे लगाया जाता है वैष्णव तिलक

    वैष्णव तिलक, भगवान विष्णु के अनुयायी द्वारा लगाया जाता है। वैष्णव तिलक पीले रंग के गोपी चंदन से ही लगाया जाता है। सरल शब्दों में 'V' शेप में लगाया जाने वाला तिलक वैष्णव तिलक कहलाता है। यह तिलक नाक के मध्य से शुरू हो कर सिर पर जहां से बाल शुरू होते हैं वहां तक लगाया जाता है।

    त्रिपुंड तिलक लगाने का सही तरीका

    जो लोग भगवान शिव के उपासक होते हैं वह शैव तिलक या त्रिपुंड तिलक लगाते हैं। शैव तिलक काले या फिर लाल रंग का होता है। इसे रोली तिलक भी कहा जाता है। भगवान शिव की मूर्ति या फिर शिवलिंग पर बनी तीन रेखाओं के तिलक को त्रिपुंड कहते हैं। शैव परंपरा से जुड़ा त्रिपुंड लगाने के लिए अनामिका, मध्यमा और अंगूठे का प्रयोग करते हुए माथे पर बाईं आंख की तरफ से दाईं आंख की तरफ आड़ी रेखा खींचना चाहिए। त्रिपुंड का आकार इन दोनों आंखों के बीच में ही सीमित रहना चाहिए।

    कौन लगाते हैं ब्रह्म तिलक

    ब्रह्म तिलक को आमतौर पर मंदिर के पुजारी और ब्राह्मण लगाते हैं। साथ ही ब्रह्म देव की पूजा करने वाले गृहस्थी भी ऐसे तिलक लगाते हैं। ब्रह्म तिलक सफेद रंग की रोली से लगाया जाता है।

    तिलक लगाने के नियम

    शास्त्रों में बताया गया है कि व्यक्ति को बिना स्नान एवं ध्यान के तिलक नहीं लगाना चाहिए। साथ ही व्यक्ति को तिलक लगाने के बाद सोना भी नहीं चाहिए। इसके साथ पूजा के समय स्वयं तिलक लगाने से पहले भगवान को तिलक लगाना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि स्वयं अनामिका उंगली से ही तिलक लगाएं और यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति के मस्तक पर तिलक लगा रहे हैं तो अंगूठे का इस्तेमाल करें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'