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    Mangla Gauri Vrat 2024: तीसरे मंगला गौरी व्रत पर इस विधि से करें पूजा, नोट करें भोग से लेकर संपूर्ण जानकारी

    Updated: Mon, 05 Aug 2024 03:54 PM (IST)

    सनातन धर्म में मंगला गौरी व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। यह सावन माह के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है। इस दिन माता गौरी की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत (Mangala Gauri Vrat 2024) करने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी मुश्किलों का अंत होता है तो चलिए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

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    Mangla Gauri Vrat 2024: ऐसे करें मंगला गौरी व्रत की पूजा -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी माता की पूजा होती है। इस पवित्र दिन पर महिलाएं मां की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं और कठिन व्रत का पालन करती हैं। इस व्रत को करने से समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। इस बार तीसरा मंगला गौरी व्रत 6 अगस्त, 2024 को रखा जाएगा।

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    इस शुभ दिन पर आपकी पूजा सफल हो इसके लिए पहले से पूजा की तैयारी कर लें, जिससे पूजा में किसी भी प्रकार का विघ्न न आ सके, तो चलिए इस दिन (Mangala Gauri Vrat 2024) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

    मंगला गौरी व्रत

    • मंगलवार की सुबह जल्दी उठें और पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
    • एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां गौरी की प्रतिमा स्थापित करें।
    • गंगाजल से अभिषेक करें।
    • गेहूं के आटे का एक दीपक लें। उसमें 16 बत्तियां और देसी घी डालें, फिर देवी की प्रतिमा के सामने दीपक प्रज्वलित करें।
    • सोलह शृंगार की सामग्री देवी को अर्पित करें।
    • कमल के फूलों की माला चढ़ाएं और सिंदूर अर्पित करें।
    • मां गौरी को समर्पित मंत्रों का जाप करें और ध्यान करें।
    • देवी को 16 की संख्या में सभी चीजें अर्पित करें जैस- 16 शृंगार, 16 लड्डू, 16 लौंग, 16 इलायची, 16 पान, 16 फल और 16 फूल आदि ।
    • मंगला गौरी कथा का पाठ करें।
    • आरती से पूजा को समाप्त करें।
    • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें।
    • अंत में बड़ों का आशीर्वाद लें।

    मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री

    इस उपवास में फल, दीया, देसी घी, सोलह शृंगार का सामान, मिठाई, कपास, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, फूल और पंचमेवा, बाती, धूप, माचिस, लाल वस्त्र, फल, आसन, देवी की प्रतिमा, गंगाजल, शुद्ध जल, घर पर बना भोग आदि चीजों की आवश्यकता होती है।

    भोग - गुड़ की खीर, पंचमेवा, हलवा आदि।

    मां गौरी का पूजा मंत्र

    1. श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

    महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

    2. या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।