रावण के चरित्र में भी कुछ ऐसी अच्छाई थीं जिन्हें हर व्यक्ति को सिखनी चाहिए
रावण परम ज्ञानी था। आलम यह था कि जब उसकी मौत हुई तो प्रभु श्रीराम ने लक्ष्मण को उससे शिक्षा लेने के लिए कहा था। यानी हमें अपने ज्ञान में हमेशा वृद्दि करते रहना चाहिए।
बुराई और अच्छाई मानव स्वभाव के अभिन्न अंग हैं। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं होगा जो पूरी तरह अच्छा ही हो, या पूरी तरह से बुरा। महर्षि वाल्मीकि की रामायण में जहां राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उल्लेखित किया गया है। तो वहीं रावण को एक नकारात्मक चरित्र के रूप में बताया गया है।
लेकिन, रावण जैसे नकारात्मक चरित्र में भी कुछ ऐसी अच्छाई थीं। जिन्हें हर व्यक्ति को अपनी दैनिक दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए।
- रावण भगवान शिव का परमभक्त था। दरअसल भक्त होना गलत बात नहीं है, यदि आप ईश्वर की भक्ति करते हैं। उनके बताए गई बातों का अनुसरण करत हैं तो एक न एक दिन सफल जरूर होते हैं। और यदि आप सफलता हासिल कर चुके हैं तो उस पर लंबे समय तक कायम रह सकते हैं।
- रावण के चरित्र पर गौर करें तो पाएंगे कि रावण एक चतुर रणनीतिकार था। उसने लंका की सुरक्षा के लिए कई तरह के उपाय किए हुए थे। लंका मार्ग पर उसने सुरसा जैसी दानवी को प्रहरी के रूप में लगाया तो वहीं लंका के चारों तरफ सूर्य व्यूह स्थापित किया। यानी उसकी कुशल रणनीति के चलते कोई भी उसकी लंका पर आक्रमण नहीं कर सकता था। यानी व्यक्ति को अपने जीवन में ऐसी रणनीति बनानी चाहिए, जिससे की भविष्य में वह किसी दुविधा में न पड़े। जैसे की बैंक बैलेंस और दोस्तों की संख्या में इजाफा। यह वक्त पढ़ने पर जरूर काम में आते हैं।
- रावण परम ज्ञानी था। आलम यह था कि जब उसकी मौत हुई तो प्रभु श्रीराम ने लक्ष्मण को उससे शिक्षा लेने के लिए कहा था। यानी हमें अपने ज्ञान में हमेशा वृद्दि करते रहना चाहिए। ऐसा करने पर हम किसी भी विषम परिस्थिति में हों, बेहतर मुकाम हासिल कर सकते हैं।
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