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    जानिए प्राचीन भारत की 5 महान स्त्रियों के विषय में, जिनके गुणों के चलते आज भी किया जाता है याद

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Mon, 18 Sep 2023 03:02 PM (IST)

    Great women of ancient India पौराणिक समय में भारत में कई ऐसी स्त्रियां हुई हैं जो अपने साहस और बुद्धि के लिए जानी जाती हैं। आज हम प्राचीन भारत की ऐसी कुछ स्त्रियों के बारे में बात करने जा रहे हैं। आइए जानते हैं प्राचीन भारत की कुछ ऐसी ही 5 यशस्वी और बुद्धिमान महिलाओं के बारे में जिनके गुणों के चलते उन्हें आज भी याद किया जाता है।

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    Great women of ancient India: प्राचीन भारत की 5 महान स्त्रियां।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क।  Wisest Women of Ancient Times: कई वर्षों तक स्त्री शिक्षा को यह कहकर नकारा गया कि प्राचीन भारत में भी स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार नहीं था। लेकिन यह बिल्कुल असत्य है। प्राचीन धर्म ग्रंथों को उठाकर देखा जाए तो पता चलता है कि पौराणिक काल में ऐसी कई ज्ञानवान स्त्रियां हुई हैं जिनके आगे बड़े-बड़े ज्ञानियों ने घुटने टेक दिए थे।

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    विदुषी गार्गी

    बुद्धिमान स्त्रियों की बात की जाती है तो सबसे पहले विदुषी गार्गी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वेदों की रचना में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। गर्गवंश में वचक्नु नामक महर्षि की पुत्री  गार्गी का पूरा नाम 'वाचकन्वी गार्गी' है। जिस प्रकार महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण और अर्जुन के संवाद से गीता की उत्पत्ति हुई।

    ठीक उसी तरह  राजा जनक के दरबार में हुए शास्त्रार्थ में ऋषि याज्ञवल्क्य और गार्गी के बीच हुए प्रश्न-उत्तरों से 'बृहदारण्यक उपनिषद' का निर्माण हुआ। विदुषी गार्गी के सामने महान ऋषि और दार्शनिक याज्ञवल्‍क्‍य भी नतमस्तक हो गए थे।

    विदुषी मैत्रेयी  

    विदुषी मैत्रेयी भी प्राचीन भारत की सबसे ज्ञानी स्त्रियों में से एक रही हैं। वह मित्र ऋषि की बेटी और महर्षि याज्ञवल्क्य की दूसरी पत्नी थी। महर्षि याज्ञवल्क्य पहली पत्नी भारद्वाज ऋषि की पुत्री कात्यायनी थीं। वह बहुत ही शांत स्वभाव की थी और अध्ययन, चिंतन और शास्त्रार्थ में रुचि रखती थीं। एक दिन ऋषि याज्ञवल्क्य ने गृहस्थ आश्रम छोड़कर वन में जाने का फैसला किया।

    ऐसे में उन्होंने अपनी दोनों पत्नियों से कहा कि वह संपत्ति को आपस में बराबर हिस्से में बांट लें। कात्यायनी ने पति का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, लेकिन मैत्रेयी को पता था कि धन-संपदा से आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। इसलिए उन्होंने भी पति के साथ वन में जाने को कहा ताकि उन्हें भी ज्ञान और अमरत्व की प्राप्ति हो सके।

    सीता

    रामायण का मुख्य पात्र और श्री राम की पत्नी सीता पतिव्रता नारी तो थी ही साथ ही वह बहुत ही विद्वान भी थीं। सीता जी को विदुषी गार्गी से वेद-पुराणों का ज्ञान मिला था। आप उनकी वीरता का अंजादा इसी बात से लगा सकते हैं की उन्होंने बचपन में ही शिव धनुष उठा लिया था। इसी घटना को देखकर राजा जनक ने फैसला लिया कि जो भी शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देखा सीता जी का विवाह उसी से होगा। राजा जनक की इस शर्त को केवल राम जी ही पूरा कर सके और उनका विवाह सीता से हुआ।

    द्रौपदी

    महाभारत के मुख्य किरदारों में से एक द्रौपदी पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री थी। वह पंच कन्याओं में से एक थी जिन्हें चिर-कुमारी कहा जाता था। द्रौपदी सुंदर होने के साथ ही बहुत बुद्धिमान भी थी। महाभारत में भी यह देखने को मिलता है कि जब भी पांडवों को कोई निर्णय लेने में संकोच हुआ तब द्रौपदी ने हमेशा उनकी सहायता की। द्रौपदी अपने सशक्त व्यक्तित्व के लिए जानी जाती है।  

    अरुंधति

    अरुंधति सात ऋषियों (सप्तर्षि) में से एक ऋषि वशिष्ठ की पत्नी थीं। वह एक तपस्विनी थी। अरुंधति को सप्तर्षि मंडल में वशिष्ठ के पास ही दिखाई देती हैं। जैसा कि वैदिक और पौराणिक साहित्य में उल्लेख किया गया है, अरुंधति भक्ति, शुद्धता जैसे कई गुणों का प्रतीक हैं। वह भी प्राचीन भारत की महान स्त्रियों में गिनी जाती हैं।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'