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    इस तरह नवरात्रि में श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ से मनोकामना पूर्ति होती है

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 29 Sep 2016 11:04 AM (IST)

    दुर्गा सप्तशती में 360 शक्तियों का वर्णन है। इस पुस्तक में तेरह अध्याय हैं। शास्त्रों के अनुसार शक्ति पूजन के साथ भैरव पूजन भी अनिवार्य माना गया है।

    1 अक्तूबर 2016 शनिवार को शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रही है। दिन में 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट के अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापित किया जा सकता है। कलश स्थापना के लिये अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है।

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    एक पंचांग के अनुसार इस बार प्रतिपदा तिथि बढ़ने के कारण नवरात्रि 10 दिवसीय है अर्थात् 10 अक्टूबर को नवमी तथा 11 को दशहरा मनाया जायेगा। नवरात्रि में शक्ति पूजा में विशेष रुप से मार्कण्डेय पुराण से लिया गया 13 अध्याय का 700 श्लोक अर्थात् दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महत्व है।

    भगवती शक्ति एक होकर भी लोक कल्याण के लिए अनेक रूपों को धारण करती है। श्वेतांबर उपनिषद के अनुसार यही आद्या शक्ति त्रिशक्ति अर्थात महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती के रूप में प्रकट होती है। इस प्रकार पराशक्ति त्रिशक्ति, नवदुर्गा, दश महाविद्या और ऐसे ही अनंत नामों से परम पूज्य है।

    श्री दुर्गा सप्तशती नारायणावतार श्री व्यासजी द्वारा रचित महा पुराणों में मार्कण्डेयपुराण से ली गयी है। इसमें सात सौ पद्यों का समावेश होने के कारण इसे सप्तशती का नाम दिया गया है। तंत्र शास्त्रों में इसका सर्वाधिक महत्व प्रतिपादित है और तांत्रिक प्रक्रियाओं का इसके पाठ में बहुधा उपयोग होता आया है।

    दुर्गा सप्तशती में 360 शक्तियों का वर्णन है। इस पुस्तक में तेरह अध्याय हैं। शास्त्रों के अनुसार शक्ति पूजन के साथ भैरव पूजन भी अनिवार्य माना गया है। अत: अष्टोत्तरशतनाम रूप बटुक भैरव की नामावली का पाठ भी दुर्गासप्तशती के अंगों में जोड़ दिया जाता है।

    इसका प्रयोग तीन प्रकार से होता है-

    1. नवार्ण मंत्र के जप से पहले भैरवजी के मूल मंत्र का 108 बार जप।

    2. प्रत्येक चरित्र के आद्यान्त में 1-1 पाठ।

    3. प्रत्येक उवाचमंत्र के आस-पास संपुट देकर पाठ।

    नैवेद्य का प्रयोग अपनी कामनापूर्ति हेतु दैनिक पूजा में नित्य किया जा सकता है। यदि मां दुर्गाजी की प्रतिमा कांसे की हो तो विशेष फलदायिनी होती है।

    श्री दुर्गासप्तशती का अनुष्ठान कैसे करें

    1. कलश स्थापना

    2. गौरी गणेश पूजन

    3. नवग्रह पूजन

    4. षोडश मातृकाओं का पूजन

    5. कुल देवी का पूजन

    दुर्गासप्तशती के पाठ में ध्यान देने योग्य कुछ बातें

    1. दुर्गा सप्तशती के किसी भी चरित्र का आधा पाठ ना करें एवं न कोई वाक्य छोड़े।

    2. पाठ को मन ही मन में करना निषेध माना गया है। अत: मंद स्वर में समान रूप से पाठ करें।

    3. पाठ केवल पुस्तक से करें यदि कंठस्थ हो तो बिना पुस्तक के भी कर सकते हैं।

    4. पुस्तक को चौकी पर रख कर पाठ करें। हाथ में ले कर पाठ करने से आधा फल प्राप्त होता है।

    5. पाठ के समाप्त होने पर बालाओं व ब्राह्मण को भोजन करवाएं।

    श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ से कैसे करें मनोकामना पूर्ति

    प्रथम अध्याय हर प्रकार की चिंता को समाप्त करने के लिए

    द्वितीय अध्याय शत्रु पीड़ा, मुकदमा आदि में विजय के लिए

    तृतीय अध्याय शत्रु दमन

    चतुर्थ अध्याय देवी दर्शन प्राप्त करने के लिए

    पंचम अध्याय देवी भक्ति प्राप्त करने के लिए

    षष्ठम अध्याय दु:ख, भय, व्यापार बाधा निवारण हेतु.

    सप्तम अध्याय मनोवांछित फल प्राप्ति हेतु.

    अष्टम अध्याय वशीकरण एवं मित्रता में प्रगाढ़ता के लिए.

    नवम अध्याय सन्तान प्राप्ति और उन्नति सहित हर प्रकार की कामना पूर्ति हेतु.

    दशम अध्याय राज सत्ता व राजसुख के लिए.

    एकादश अध्याय व्यापार उन्नति के लिए.

    द्वादश अध्याय यश और लोकप्रियता के लिए.

    त्रयोदश अध्याय पुन: राज्यस्थापन एवं सत्ता सुख के लिए