मित्रता वो रिश्ता है जो हमें भावनात्मक समस्याओं से बचाता है
कृष्ण-सुदामा की दोस्ती इस बात की ओर इंगित करती है कि दोस्ती में कोई अमीर-गरीब नहीं होता। दुर्योधन ने मित्र कर्ण को राज्य दिया उसे अपनी ही तरह राजा बनाया और धन धान्य से पूर्ण किया।
सच्चा मित्र कौन है? जब आप इस सवाल का मंथन करेंगे, तो कई दोस्तों के चेहरे आपकी आंखों के सामनें होंगे। लेकिन सच्चा और अच्छा मित्र कौन है ? यह आप अपने स्वविवेक द्वारा ही निर्धारित कर सकते हैं।
दरअसल, सच्चे मित्र वो हैं जो हमें सभी परेशानियों से बचाएं और कठिन समय में हमारी मदद करें। चाणक्य ने कहा है, 'जो व्यक्ति अपने परिवार का पालन-पोषण करने के योग्य न हो, जो व्यक्ति शर्म नहीं करता है, गलती करने पर भी किसी से नहीं डरता हो, जिसके मन में दूसरों के लिए उदारता का भाव न हो, वह लोग मित्रता के योग्य नहीं हैं।'
मित्रता वो रिश्ता है जो हमें भावनात्मक समस्याओं से बचाता है। सच्चे दोस्त दुनिया में हीरे जैसे अनमोल पत्थर से भी ज्यादा कीमती होते हैं। पौराणिक ग्रंथों में भी मित्रता के कई उदाहरण पढ़ने को मिलते हैं। द्वापर युग में कृष्ण- अर्जुन, कृष्ण- सुदामा और दुर्योधन-कर्ण की दोस्ती की मिसाल आज भी दी जाती है।
कृष्ण-सुदामा की दोस्ती इस बात की ओर इंगित करती है कि दोस्ती में कोई अमीर-गरीब नहीं होता। वहीं, दुर्योधन ने अपने मित्र कर्ण को राज्य दिया उसे अपनी ही तरह राजा बनाया और धन धान्य से पूर्ण किया। यानी एक दोस्त यदि अमीर है तो वह अपने गरीब दोस्त की मदद कर उसे भी धनवान बना सकती है। इसीलिए जीवन में बहुत सारे मित्र नहीं बल्कि सच्चे और अच्छे मित्र जरूर होने चाहिए।
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