सर्दी में बदलेगा ठाकुरजी का चोला
प्रभु श्रीकृष्ण बेशक जगत पालक हैं, लेकिन ब्रजवासियों के लिए तो वे लाला ही हैं। ठंड के मौसम में इन्हें सर्दी लग जाए, यह ब्रजवासी कैसे बर्दाश्त करें। देवोत्थान एकादशी यानि जिस दिन देव जागेंगे, भगवान श्रीकृष्ण-राधा को ठंड से बचाने के उपाय भी ब्रज के मंदिरों में शुरू हो जाएंगे।

मथुरा, जागरण संवाददाता। प्रभु श्रीकृष्ण बेशक जगत पालक हैं, लेकिन ब्रजवासियों के लिए तो वे लाला ही हैं। ठंड के मौसम में इन्हें सर्दी लग जाए, यह ब्रजवासी कैसे बर्दाश्त करें। देवोत्थान एकादशी यानि जिस दिन देव जागेंगे, भगवान श्रीकृष्ण-राधा को ठंड से बचाने के उपाय भी ब्रज के मंदिरों में शुरू हो जाएंगे।
प्रभु इन दिनों गुलाबी सर्दी का आनंद ले रहे हैं। शीत ऋतु के आनंद के साथ उनका स्वास्थ्य भी बना रहे, इसलिए उनको कैलोरी और ऊर्जा देने के इंतजाम भी देवोत्थान एकादशी से शुरू हो जाएंगे। ब्रज के मंदिरों में बाल रूप गोपाल की छवि हो या द्वारिकाधीश की। दाऊजी महाराज, बांके बिहारी या अन्य कोई ईश्वरीय स्वरूप, सभी जगह जाड़े से अपने आराध्य को बचाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। एकादशी से इन्हें पूरी कैलोरी वाली गिजा दी जाएगी, जिसमें बादाम, केसर, चिलगोजा, छुआरा, दूध आदि से बना प्रसाद शामिल होगा और रुई की रजाई ओढ़कर सोया करेंगे।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान के पदाधिकारी राजीव श्रीवास्तव के अनुसार, देवोत्थान एकादशी के दिन से भागवत भवन समेत जन्मस्थान परिसर स्थित अन्य मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण-राधा को सुबह-शाम मेवा वाले खाद्य पदार्थो का भोग लगेगा। कभी सूखा मेवा, तो कभी इससे बनने वाले हलुआ आदि का स्वाद प्रभु चखेंगे। गर्मी बनी रहे, इस लिहाज से प्रभु के सामने हीटर रखा जाएगा। प्रभु और राधा जी को पहले शाल फिर अन्य गर्म वस्त्र पहनाये और ओढ़ाये जाएंगे।
मंदिर द्वारिकाधीश के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी बताते हैं, शीत के कोप से प्रभु और श्री राधा जी कुम्हलाने न पाएं, इसलिए यहां कस्तूरी, पिस्ता, बादाम और सोंठ आदि का भोग सुबह-शाम लगाया जाएगा। साथ ही अंगीठी जलाकर रखी जाएगी। पहनावा भी गर्म वस्त्रों का हो जाएगा। होली तक ब्रज के मंदिरों में यही व्यवस्था रहेगी। इसके बाद प्रभु का भोग और पहनावा फिर बदलेगा।
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