Tapti Jayanti 2021 : आज है ताप्ती जयंती, पढ़ें राजा दशरथ की आत्मा को नदी तट पर कैसे मिली शांति
Tapti Jayanti 2021 ताप्ती नदी को सूर्य की बेटी माना जाता है। मान्यता है कि ताप्ती नदी दुनिया की एकमात्र नदी है जो हड्डियों को गला देती है। इस नदी की धारा में दीपदान पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व है।

Tapti Jayanti 2021 : ताप्ती जयंती आषाढ़ शुक्ल की सप्तमी को मनाई जाती है। वेद पुराण में इस नदी का उल्लेख किया गया है। इस साल यह जयंती आज 16 जुलाई शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। ताप्ती देश की प्रमुख नदियों में से एक है। इस नदी का उद्गम बैतूल जिले के मुलताई तहसील के पास ताप्ती तालाब को माना जाता है। ताप्ती नदी को सूर्य की बेटी माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ताप्ती नदी दुनिया की एकमात्र नदी है, जो हड्डियों को गला देती है। इस नदी की धारा में दीपदान, पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व है। आइये जानते हैं इस नदी से जुड़ी विशेष बातें।
माना जाता है कि नारद मुनि ने अपने कोढ़ को ठीक करने के लिए मां ताप्ती का सहारा लिया था। यहां पर उन्होंने अपने गलती का पश्चाताप किया और ताप्ती तट पर आकर स्नान और दान का कार्य किया। जिसके पश्चात उनको कोढ़ रोग से मुक्ति मिली।
भगवान राम अपने पिता दशरथ की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए ताप्ती नदी का सहारा लिये। राम माता सीता और अनुज लक्ष्मण की उपस्थिति में ताप्ती नदी के जल में तर्पण का कार्य किया, जिससे उनके पिता दशरथ की आत्मा को शांति मिली।
शास्त्रों के अनुसार, मान्यता है कि अगर अकाल मृत्यु के शिकार व्यक्ति के देह की हड्डी को ताप्ती के जल में प्रवाहित किया जाये, तो उसकी मृत आत्मा को मुक्ति मिल जाती है।
ताप्ती शनि देव की बहन हैं, जो भी इनके अस्तित्व को नकारने की कोशिश करता है, वह शनि देव के प्रकोप का शिकार होता है। ताप्ती में स्नान करने से शनि देव के प्रकोप से बचा जा सकता है।
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