Swastik Sign: कहीं आप भी तो स्वस्तिक बनाते समय नहीं कर रहे ये गलती, जरूर ध्यान रखें ये बातें
हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य से पहले स्वस्तिक का चिन्ह (Swastik Sign importance) जरूर बनाया जाता है, चाहे वह विवाह हो या गृह प्रवेश। चिन्ह को शुभता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। लेकिन आपको इसका पूरा लाभ तभी मिल सकता है, जब आप इसे बनाने से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखें। चलिए जानते हैं इस बारे में।
Swastik Sign importance In hindi (Picture Credit: Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माना जाता है कि अगर किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य से पहले स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाए, तो इससे घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। लेकिन अगर गलत तरीके से स्वस्तिक (Swastik Mistake) बनाया जाए, तो आपको इसके विपरीत परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। चलिए जानते हैं स्वस्तिक बनाने का सही तरीका।
स्वस्तिक का महत्व (significance of swastik)
स्वस्तिक को चार दिशाओं और चार वेदों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसी के साथ स्वस्तिक को एक मंगल और कल्याणकारी चिन्ह के रूप में भी देखा जाता है। ऐसे में यदि धार्मिक कार्यों में दौरान इस चिन्ह को बनाय जाए, तो इससे सवह कार्य सिद्ध होता है।यही कारण है कि स्वस्तिक (religious symbol guide) को समृद्धि, सौभाग्य और शांति का भी प्रतीक माना जाता है।
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स्वस्तिक बनाने का सही तरीका
सबसे पहले स्वस्तिक का दायां भाग बनाएं और इसके बाद बायां भाग बनाएं। आपको चार रेखाओं का उपयोग करते हुए स्वस्तिक बनाना चाहिए न कि दो रेखाओं के उपयोग से। इसके लिए सबसे पहले ऊपर से नीचे की तरफ एक रेखा खींचनी है और उसके बाद उस रेखा के छोर पर दाएं से बाएं तरफ ले जाते हुए एक रेखा खींचनी है। इसके बाद नीचे से ऊपर की तरफ ले जाते हुए एक रेखा खींचें और अंत में बाएं से दाएं ले जाते हुए एक और रेखा खींचें।
कौन सी दिशा है सही
वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक बनाने के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को सबसे उत्तम माना गया है। इसके साथ ही आप घर की उत्तर दिशा में भी स्वस्तिक बना सकते हैं। पूजा स्थान और मुख्य द्वार पर भी स्वस्तिक का चिह्न बनाना शुभ माना गया है। ऐसा करने से घर में सुख और सौभाग्य का आगमन तो होता ही है, साथ ही वास्तु दोष से भी छुटकारा मिलता है।
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रखें इन बातों का ध्यान
स्वस्तिक को बनाने के लिए चंदन, कुमकुम या सिंदूर का उपयोग करना बेहतर रहता है। स्वस्तिक को कभी भी उल्टा (Swastik errors) नहीं बनाना चाहिए। वरना आपको कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही स्वस्तिक बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसे बनाते समय दो रेखाएं एक-दूसरो को आपस में कटती हुई न जाएं। ऊपर बताई गई विधि से ही स्वस्तिक बनाएं।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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