स्वामी विवेकानंद युवाओं के शाश्वत मार्गदर्शक एवं प्रेरणा स्रोत हैं
“उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।“ स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रवर्तित यह उत्प्रेरक मंत्र युवा जागरण का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया तथा उनमें राष्ट्र के प्रति समर्पण और स्वाभिमान भाव भरने का संकल्प लिया।
“उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।“ स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रवर्तित यह उत्प्रेरक मंत्र युवा जागरण का प्रतीक है। यह मंत्र उन्होंने तब दिया, जब देश परतंत्र था। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया तथा उनमें राष्ट्र के प्रति समर्पण और स्वाभिमान भाव भरने का संकल्प लिया, जिसका केंद्रीय भाव है, ‘ज्ञान प्राप्ति।’ इसके अभाव में न मानव पूर्ण हो सकता है और न मानवता। यही संकल्प सिद्धि का द्वार भी है और स्वाभिमान रक्षा का शस्त्र भी। इसके लिए चित्त की एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है। विवेकानंद देश के धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्वाभिमान के प्रतीक थे। वह चाहते थे कि समस्त विश्व भारत की इस संपदा पर गर्व करे। भारत की सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करने का जो कुचक्र अंग्रेजों द्वारा चलाया जा रहा था, उससे वह उद्वेलित थे। हालांकि वह आश्वस्त भी थे कि जब देश का युवा जागृत होगा तो अंग्रेजों का यह षड्यंत्र कभी सफल नहीं हो सकता। इसीलिए उन्होंने युवा शक्ति को ललकारते हुए कहा, ‘यह संसार कायरों के लिए नहीं है।’ स्मरण रखना ‘आपका संघर्ष जितना बड़ा होगा, जीत भी उतनी ही बड़ी होगी।’ यह भी याद रहे कि, ‘जिस दिन आपके मार्ग में कोई समस्या न आए, समझ लेना आप गलत मार्ग पर चल रहे हो।’
विश्व धर्म संसद तक पहुंचने में उनके मार्ग में कितनी बाधाएं आईं, इसका उन्हें कटु अनुभव था, परंतु देश को मिले उन गौरवमयी पलों से उन्होंने समस्त विश्व को मां भारती के चरणों में झुकने पर मजबूर कर दिया। यह मां के चरणों में उनकी दिव्य वाणी के सुवासित पुष्प थे। फिर उन्होंने देश सेवा का वह व्रत लिया, जो युवाओं को सदा प्रेरित करता रहेगा। उनकी आयु की गणना भले ही कम हो, मगर उसका आयतन और घनत्व बहुत अधिक है। इतना अधिक कि उसकी थाह नहीं ली जा सकती। वास्तव में स्वामी विवेकानंद देश के युवाओं के शाश्वत आदर्श, मार्गदर्शक एवं प्रेरणा स्नेत हैं।
डा. सत्य प्रकाश मिश्र