स्वामी हरिदास: साधना से प्रकटे बांकेबिहारी
संगीतज्ञों के आराध्य स्वामी हरिदास का जन्मोत्सव मनाने को वृंदावन में उनके शिष्यों का जमावड़ा लगने लगा है। यहां 13-14 सितंबर को स्वामी हरिदास संगीत एवं नृत्य महोत्सव में शिरकत करने देश-विदेश से साधक आ रहे हैं। ध्रुपद के जनक स्वामी हरिदास का जन्म विक्रम संवत 1535 में भाद्रपक्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ थ
वृंदावन, जागरण संवाददाता। संगीतज्ञों के आराध्य स्वामी हरिदास का जन्मोत्सव मनाने को वृंदावन में उनके शिष्यों का जमावड़ा लगने लगा है। यहां 13-14 सितंबर को स्वामी हरिदास संगीत एवं नृत्य महोत्सव में शिरकत करने देश-विदेश से साधक आ रहे हैं।
ध्रुपद के जनक स्वामी हरिदास का जन्म विक्रम संवत 1535 में भाद्रपक्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। पिता आशुधीर, माता गंगा देवी के साथ अपने उपास्य राधा माधव की प्रेरणा से अनेक तीर्थयात्रा करने के बाद अलीगढ़ के ग्राम कोल (हरिदासपुर) में बस गए। स्वामी हरिदास संप्रदाय के ग्रंथ वाणी के अनुसार मधुर कंठ के कारण बचपन से ही हरिदास जी की गायन शैली की प्रसिद्धि फैलने लगी थी। यहां तक कि गांव भी उनके नाम से ही जाना जाने लगा। हरिदास जी का विवाह हरिमती से हुआ। लेकिन श्यामा कुंजबिहारी में उनकी आसक्ति देख पतिव्रता पत्नी ने योगाग्नि से अपना शरीर त्याग दिया। ताकि हरिदास जी की साधना में कोई विघ्न न आए। 125 वर्ष की उम्र में वह वृंदावन पहुंचे।
यहां निधिवन में वो श्यामा-कुंजबिहारी के ध्यान और भजन में तल्लीन रहते। उनकी साधना की शक्ति ने ठा. बांके बिहारी महाराज का प्राकट्य हुआ। वैष्णव, स्वामी हरिदास जी को ललिता सखी का अवतार मानते हैं। ललिता सखी को संगीत की अधिष्ठात्री माना गया है। स्वामी हरिदास संगीत के परम आचार्य थे, उनका संगीत सिर्फ अपने आराध्य को समर्पित था। बैजू बावरा, तानसेन जैसे दिग्गज संगीतज्ञ उनके शिष्य थे। स्वामी जी के संगीत की तारीफ सुन मुगल बादशाह अकबर भेष बदलकर वृंदावन स्वामीजी का संगीत सुनने आए थे।
सखी संप्रदाय के प्रवर्तक हरिदास
स्वामी हरिदास जी ने एक नये पंथ सखी संप्रदाय का प्रवर्तन किया। उनके द्वारा निकुंजोपासना के रूप में श्यामा कुंजबिहारी की सेवा-उपासना की पद्धति विकसित हुई, जो विलक्षण है। निकुंज उपासक प्रभु से अपने लिए कुछ नहीं चाहता, उसके समस्त कार्य अपने आराध्य को सुख देने के लिए ही होते हैं।
जाने-माने संगीतज्ञ देते हैं भावांजलि
ध्रुपद के जनक और संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास के जन्मोत्सव पर विश्वभर के शास्त्रीय संगीतज्ञ उन्हें भावांजलि देने प्रतिवर्ष वृंदावन आते हैं। यह सिलसिला डेढ़ दशक से अनवरत चल रहा है। बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों द्वारा शुरू की गयी इस परंपरा का निर्वहन कुछ समय मथुरा के एके जैन ने किया। इसके बाद बांके बिहारी के सेवायत श्रीगोपाल गोस्वामी ने स्वामी हरिदास संगीत एवं नृत्य महोत्सव को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सन् 2002 से स्वामी के वंश की 18 वीं पीढ़ी के युवा सेवायत गोपी गोस्वामी परंपरा का बड़े स्तर पर निर्वहन कर रहे हैं। महोत्सव में विश्वभर में शास्त्रीय संगीत की धुरी बने कलाकार प्रतिवर्ष स्वामी जी को भावांजलि देने वृंदावन आते हैं। इस साल 152 वां महोत्सव रमणरेती मार्ग स्थित स्वामी रामस्वरूप के पंडाल में 13-14 सितंबर को आयोजित होगा।
केलिमाल का स्वर पाठ और समाज गायन
वृंदावन। हरिदास नगर में स्वामी हरिदास आविर्भाव महोत्सव के सप्तम दिवस पर पद गायन का आयोजन हुआ। साथ ही केलिमाल का सस्वर पाठ एवं समाज-गायन कार्यक्रम भी हुआ।
इससे पूर्व संस्थान के मंत्री विष्णुदान शर्मा ने कहा कि प्रियाजू के चरण कल्पतरु हैं, कामधेनु हैं। इनकी शरण में आने पर मन की कल्पना एक क्षण में पूर्ण हो जाती है। जैसे सूर्य की किरण से सारा संसार प्रकाशित है, वैसे ही श्रीधाम प्रिया-प्रियतम के श्रीचरणों से प्रकाशित है। संस्थान के अध्यक्ष बाबा रतनदास ने सभी आगंतुक कलाकारों का पटुका ओढ़ाकर स्वागत किया। पद गायन में प्रमुख रूप से दीपक द्वारा 'जय स्वामी जय स्वामी स्वामी' पद गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने बिहारी तेरे नैन रूप भरे, प्रगट भये प्यारी ललित उदार गाकर खूब तालियां बटोरीं।
कार्यक्रम में राधेश्याम बेरीवाला, चम्पालाल भुवालका, गोपाल, कैलाश, पप्पू, एसपी शर्मा, गुलाब सिंह, बाबा मोहिनीशरण, बाबा दयालदास, वृंदावनदास, प्रमोद शास्त्री, मनोज, सौरभ आदि मौजूद रहे।
ब्रजरज में गूंजेगा सूफियाना सुर
वृंदावन। 14 सितंबर को ब्रज के भक्ति राग में सूफियाना स्वर सुनाई देंगे। संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास संगीत एवं नृत्य महोत्सव में सूफी गायक हंस राज हंस भी प्रस्तुति देंगे। संगीत के इस महासम्मेलन में शिरकत करने के लिए देश-दुनिया से लोगों का आगमन वृंदावन में होने लगा है।
13 सितंबर से रमणरेती मार्ग स्थित स्वामी रामस्वरूप शर्मा के पंडाल में होने वाले स्वामी हरिदास संगीत एवं नृत्य महोत्सव में शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य की ख्यातिप्राप्त विभूतियां अपनी कला के माध्यम से स्वामी हरिदास को भावांजलि देंगी। इसके अलावा सूफी संगीत की सुगंध महोत्सव में चार चांद लगायेगी। ब्रजभूमि की सुगंध को सूफियाना संगीत की धुनों में पिरोकर ठा. बांकेबिहारी जी महाराज के भक्तों एवं स्वयं स्वामी हरिदासजी महाराज को समर्पित करने के लिए सुप्रसिद्ध सूफी गायक हंसराज हंस 14 सितंबर को वृंदावन आ रहे हैं। संस्था सचिव गोपी गोस्वामी ने बताया कि इस दिव्य और अनुपम महोत्सव में स्वामीजी महाराज को भावांजलि अर्पित करने के लिए सूफी गायक हंसराज हंस ने खास प्रस्तुतियां तैयार की हैं।
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