बच्चे के जन्म के बाद क्यों लगता है सोबड़? धार्मिक के साथ-साथ जानिए वैज्ञानिक कारण
Sutak in hindi सनातन धर्म में माना गया है कि बच्चे के जन्म के 10 दिनों तक सूतक काल चलता है जिस दौरान कई बातों का ध्यान रखा जाता है। इसकी अवधि मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग भी हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं सूतक काल के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही जानते हैं इसका वैज्ञानिक पहलू।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sutak Kaal: हिंदू धर्म में अलग-अलग परिस्थितियों के लिए अलग-अलग तरह की परम्पराएं चली आ रही हैं, जो वैज्ञानिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखती हैं। ऐसी ही एक परम्परा है बच्चे के जन्म के बाद सूतक या सोबड़ लगने की परम्परा। इस दौरान न केवल नवजात बच्चे की मां बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी कई कार्यो की मनाही होती है।
क्या होता है सोबड़?
हिंदू धर्म-शास्त्रों के अनुसार, बच्चे के जन्म के बाद 10 दिनों के लिए सूतक लग जाता है जिसे सोबड़ भी कहा जाता है। इस दौरान कई कार्यों की मनाही होती है। सोबड़ के दिनों में परिवार का कोई भी सदस्य पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान नहीं कर सकता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बच्चे के जन्म के दौरान माता और बच्चा खून लगने से अशुद्ध हो जाते हैं।
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ये है वैज्ञानिक कारण
बच्चे के जन्म के बाद मां और बच्चे को लेकर बहुत एहतियात बरतनी पड़ती है। वहीं, सोबड़ के दौरान परिवार वालों को भी नवजात बच्चे और मां से दूरी बनाने के लिए कहा जाता है। जिसका कारण यह है कि मां और बच्चे को किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से बचाया जा सके। साथ ही मां को बच्चे के जन्म के बाद आराम की जरूरत होती है। इसलिए भी सोबड़ की रस्म मायने रखती है।
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सोबड़ के दौरान इन नियमों का रखें ध्यान
- परिवार के सदस्य किसी भी धार्मिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकते।
- इस दौरान किसी धार्मिक स्थान पर जाना भी वर्जित माना जाता है।
- बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री का रसोईघर में जाना या अन्य काम करना निषेध होता है।
- हवन के बाद ही सोबड़ की समाप्ति मानी जाती है।
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