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    Surya Dev Pujan: रविवार के दिन इस स्तुति से करें भगवान सूर्य को प्रसन्न, घर आएगी खुशहाली

    रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा (Surya Dev Pujan) होती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग किसी भी रविवार के दिन या फिर प्रतिदिन उनकी पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप उन्हें प्रसन्न रखने की कामना रखते हैं तो आपको सुबह उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 12 May 2024 08:14 AM (IST)
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    Surya Dev Pujan: भगवान सूर्य की पूजा ऐसे करें -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Surya Dev Pujan: भगवान सूर्य की पूजा का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। वे धरती के एक मात्र साक्षात देवता कहे जाते हैं। रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग किसी भी रविवार के दिन या फिर प्रतिदिन उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है।

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    साथ ही उनके घर में बरकत का वास होता है। ऐसे में अगर आप उन्हें प्रसन्न रखने की कामना रखते हैं, तो आपको सुबह उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद उनकी स्तुति और आरती करनी चाहिए।

    ।।सूर्य स्तुति ।।

    नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्। दिवाकरं रविं भानुं मार्तण्डं भास्करं भगम्।।

    इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगतिं शुभम्।।

    ।।सूर्यदेव की आरती ।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।