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    Surya Dev Ki Aarti: इस विधि से करें भगवान सूर्य की पूजा, कुंडली में बनेगा राजयोग

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 04 Feb 2024 07:00 AM (IST)

    अगर आप भी सूर्य देव (Surya Dev) को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उन्हें रोज सुबह जल चढाएं। जल में रोली अक्षत कुमकुम गुड़ शामिल करें। इसके बाद सूर्य मंत्रों का जाप और चालीसा का पाठ करें। आरती (Surya Dev Ki Aarti) से पूजा को पूरी करें। अंत में शंखनाद जरूर करें। तो आइए यहां पढ़ते हैं भगवान सूर्य की आरती -

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    Surya Dev Ki Aarti : भगवान सूर्य की आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Surya Dev Ki Aarti: सनातन धर्म में रविवार का दिन बेहद विशेष माना जाता है। यह दिन सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान सूर्य की पूजा होती है। साथ ही भक्त इस खास दिन का उपवास भी रखते हैं। अगर आप भी सूर्य देव (Surya Dev) को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो उन्हें रोज सुबह जल चढाएं।

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    जल में रोली, अक्षत, कुमकुम, गुड़ शामिल करें। इसके बाद सूर्य मंत्रों का जाप और चालीसा का पाठ करें। आरती से पूजा को पूरी करें। अंत में शंखनाद जरूर करें, क्योंकि हिंदू धर्म में इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है।

    भगवान सूर्य की आरती

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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