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    Sunday Puja Tips: ऐसे करें भगवान सूर्य की पूजा, सम्मान और धन में होगी वृद्धि

    Updated: Sun, 08 Dec 2024 06:30 AM (IST)

    रविवार का दिन सूर्य देव को अर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त रविवार के दिन का उपवास करते हैं और सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं उन्हें धन और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सूर्य जैसा तेज प्राप्त होता है। ऐसे में इस दिन पर भगवान सूर्य की पूजा (Surya Dev Pujan) सच्चे भाव के साथ करें और उनकी भव्य आरती करें।

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    Sunday Puja Tips: ऐसे करें भगवान सूर्य की पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान सूर्य की पूजा को बहुत शुभ माना जाता है रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि जो जातक रविवार का उपवास रखते हैं और भाव के साथ भगवान सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें सूर्य भगवान का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में सुबह उठकर स्नान के बाद जल में गुड़, रोली, फूल और अक्षत मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

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    इसके बाद भाव के साथ आरती करें। ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होंगे। साथ ही सम्मान और धन में वृद्धि होगी, तो आइए यहां सूर्य देव की आरती पढ़ते हैं -

    ।।सूर्य देव की आरती।। (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।