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    Surya Dev Pujan: भगवान सूर्य की इस आरती से करें अपने दिन की शुरुआत, सभी कार्य में होंगे सफल

    रविवार का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए बेहद कल्याणकारी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक इस दिन कठिन व्रत का पालन करते हैं और भक्ति भाव के साथ सूर्य देव (Surya Dev Pujan) को अर्घ्य चढ़ाते हैं उन्हें सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही घर और जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलता है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 28 Jul 2024 07:00 AM (IST)
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    Surya Dev Pujan: भगवान सूर्य की आरती -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा बहुत ही लाभकारी मानी गई है। रविवार के दिन सूर्य नारायण की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग जीवन में सफलता हासिल करना चाहते हैं, उन्हें रविवार के दिन का व्रत रखना चाहिए। इसके साथ ही पूरे दिन तामसिक चीजों से परहेज करना चाहिए। इससे जीवन की सभी बाधाओं का अंत होता है।

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    अगर आप भगवान सूर्य की पूर्ण कृपा पाना चाहते हैं, तो आपको उन्हें रविवार के दिन अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। साथ ही उनके वैदिक मंत्रों का जाप करने के बाद भावपूर्ण उनकी आरती करनी चाहिए, जो इस प्रकार है -

    ।। भगवान सूर्य की आरती ।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।