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    Surya Dev Aarti: भगवान सूर्य की आरती के साथ करें इस स्तुति का पाठ, बनेंगे बिगड़े हुए काम

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 05 Nov 2023 11:28 AM (IST)

    Surya Dev Aarti रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। ऐसे में छठ पर्व भी आ रहा है तो सूर्य पूजा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है जो साधक सूर्य देव की पूजा प्रतिदिन करते हैं उन्हें जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है।

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    Surya Dev Aarti

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क।Surya Dev Aarti: भगवान सूर्य को धरती का एक मात्र साक्षात देवता माना गया है। उन्हें ग्रहों का राजा भी कहा जाता है। रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। ऐसे में छठ पर्व भी आ रहा है, तो सूर्य पूजा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है, जो साधक सूर्य देव की पूजा प्रतिदिन करते हैं, उन्हें जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है। यहां सूर्य देव की पूजा के लिए आरती और स्तुति दी गई है, जिसका पाठ बेहद फलदायी माना गया है।

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    ।।सूर्यदेव की आरती ।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।सूर्य स्तुति ।।

    नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्। दिवाकरं रविं भानुं मार्तण्डं भास्करं भगम्।।

    इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगतिं शुभम्।।

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