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    Surya Dev Aarti: ऐसे करें भगवान सूर्य की स्तुति, बनेंगे सभी बिगड़े काम

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 03 Mar 2024 08:26 AM (IST)

    रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त किसी भी रविवार के दिन या फिर प्रतिदिन उनकी आराधना करते हैं उन्हें जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही उनके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इसलिए सुबह उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाएं। साथ ही उनकी स्तुति के बाद आरती करें।

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    Surya Dev Aarti: ऐसे करें भगवान सूर्य की स्तुति

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Surya Dev Aarti: भगवान सूर्य की पूजा ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही फलदायी मानी जाती है। वे धरती के एक मात्र साक्षात देवता हैं। रविवार का दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त किसी भी रविवार के दिन या फिर प्रतिदिन उनकी आराधना करते हैं, उन्हें जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है।

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    साथ ही उनके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इसलिए सुबह उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाएं। साथ ही उनकी स्तुति के बाद आरती करें, जो यहां दी गई है।

    ।।सूर्य स्तुति ।।

    नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्। दिवाकरं रविं भानुं मार्तण्डं भास्करं भगम्।।

    इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगतिं शुभम्।।

    ।।सूर्यदेव की आरती ।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।

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