मां शारदा का विवाह छह साल की उम्र में 25 साल के रामकृष्ण परमहंस से हुई थी
तभी रात्रि में एक कन्या उनके सिरहाने आती है और कहती है, तेरा अपने पति से मिलन जरूर होगा। तू कलकत्ता जा। तेरे लिए ही मैंने उसे दक्षिणेश्वर में रोक रखा है।
मल्टीमीडिया डेस्क। आजकल रिश्तों की डोर बेहद कमजोर हो गई है, ऐसे में रामकृष्ण परमहंस और मां शारदा का दाम्पत्य जीवन लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है।
उम्र में 19 साल का अंतर होने के बावजूद दोनों ने आदर्श जीवन व्यतित किया। दोनों ही जितने सांसारिक थे, उतने आधात्यमिक भी थे। मां शारदा के साथ रह कर रामकृष्ण परमहंस एक आदर्श गृहस्थ थे, तो एक आदर्श संन्यासी भी रहे।
मां शारदा का जन्म पश्चिम बंगाल के जयराम वाटी में हुआ था। ग्रामीण माहौल में पली-बढ़ी मां शारदा का विवाह महज छह साल की उम्र में रामकृष्ण परमहंस से हो गया था। तब परमहंस की उम्र करीब 25 साल थी।
विवाह के बाद रामकृष्ण कलकत्ता चले आए, जहां उन्होंने खुद को दक्षिणेश्वरी मां काली की साधना में अर्पित कर दिया था।
कुछ साल बाद मां शारदा पूर्ण युवती होती हैं तो उनके मन में अपने पति के पास जाने की इच्छा जागती है। वे स्नान यात्रा पर निकले कुछ लोगों के साथ कलकत्ता रवाना होती हैं, लेकिन बीच रास्ते में उन्हें तेज बुखार आ जाता है।
मां शारदा सोचती हैं, अब उनका अपने पति से मिलना संभव नहीं होगा। तभी रात्रि में एक कन्या उनके सिरहाने आती है और कहती है, तेरा अपने पति से मिलन जरूर होगा। तू कलकत्ता जा। तेरे लिए ही मैंने उसे दक्षिणेश्वर में रोक रखा है।