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जानें आखिर क्यों सिर्फ शालिग्राम पत्थर से ही मूर्ति बनाना है शुभ? क्या है विष्णु जी से इसका कनेक्शन

Ram Sita Idol Shaligram नेपाल के गंडक नदी से शालिग्राम के 2 पत्थर लाए जा रहे हैं। इन शिलाखंडों से ही भगवान राम और माता सीता की मूर्ति बनाई जाएगी। जानिए आखिर शालिग्राम पत्थर इतना क्यों है खास और जानिए भगवान विष्णु से इस पत्थर का कनेक्शन।

By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghPublished: Wed, 01 Feb 2023 12:47 PM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2023 01:41 PM (IST)
जानें आखिर क्यों सिर्फ शालिग्राम पत्थर से ही मूर्ति बनाना है शुभ, क्या है विष्णु जी से इसका कनेक्शन

नई दिल्ली, Ram Sita Idol Shaligram: अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली भगवान राम और माता की सीता की मूर्ति इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। क्योंकि यह मूर्ति विशेष पत्थरों से बनाई जा रही है जो नेपाल की गंडकी नदी से मिले पत्थरों से बनाई जा रही है। इन पत्थरों को शालिग्राम कहा जाता है। माना जा रहा है कि साल 2024 में होने वाली मकर संक्रांति तक यह मूर्तियां बनकर तैयार हो जाएगी। शालिग्राम पत्थर को भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व माना जाता है। जानिए आखिर क्यों शालिग्राम से बनी मूर्तियों शुभ मानी जाती है।

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शालिग्राम पत्थर क्यों है खास?

हिंदू धर्म में शालिग्राम पत्थर का विशेष महत्व है। इस पत्थर को भगवान के स्वरूप मानकर पूजा जाता है। इसे सालग्राम के रूप में भी जाना जाता है।  शालिग्राम शिवलिंग की तरह की दुर्लभ होते हैं, जो हर जगह नहीं मिलती है। अधिकतर शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र, काली गण्डकी नदी के तट पर ही पाए जाते हैं। शालिग्राम कई रंगों के होते हैं। लेकिन सुनहरा और ज्योति युक्त शालिग्राम सबसे दुर्लभ माना जाता है।

भगवान विष्णु से जुड़ा है शालिग्राम

 शास्त्रों के अनुसार, शालिग्राम 33 प्रकार के होते हैं जिनमे से 24 प्रकार को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से जोड़ा जाता है। इसी के कारण शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के विग्रह रूप के रूप में शालिग्राम को पूजा जाता है। माना जाता है कि अगर शालिग्राम गोल है, तो वह भगवान विष्णु का गोपाल रूप होता है और मछली के आकार में है, तो उसे मत्स्य अवतार का प्रतीक माना जाता है। वहीं अगर कछुए के आकार में शालिग्राम है, तो उसे कुर्म और कच्छप अवतार का प्रतीक माना जाता है। शालिग्राम पर उभरे हुए चक्र और रेखाएं विष्णु जी के अन्य अवतारों और रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। विष्णु जी के गदाधर रूप में एक चक्र का चिह्न होता है। लक्ष्मीनारायण रूप में दो, त्रिविक्रम तीन से, चतुर्व्यूह रूप में चार, वासुदेव में पांच।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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