Somwar Puja Rules: सोमवार के दिन इस नियम से करें लिंगाष्टक स्तोत्र का पाठ, मिलेगा भगवान शिव का आशीर्वाद
सोमवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा का विधान है। अगर आप शिव जी (Shiv Pujan) का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आपको सोमवार के दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा करें। इसके साथ ही सोमवार का उपवास रखें। कहते हैं कि इससे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। वहीं इस दिन लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ भी बहुत शुभ माना गया है जो इस प्रकार है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। भगवान शंकर को भोलेनाथ भी कहा जाता है, क्योंकि वे आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। सोमवार की पूजा में लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra) पाठ का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन इसका पाठ करने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सोमवार पूजा के नियम (Somwar Puja Rules)
- सोमवार के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में या किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की विधिवत पूजा करें।
- शिवलिंग का जल, दूध, दही, घी, शहद और गन्ने के रस से अभिषेक करें।
- खीर व ऋतु फल का भोग लगाएं।
- भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं। ऐसे में बेलपत्र जरूर चढ़ाएं।
- लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ करें।
- आरती से पूजा पूरी करें।
।लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra)।।
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥
कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥
कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥
देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥
अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥
सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥
लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥॥
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
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