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    Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर ऐसे प्राप्त करें लक्ष्मी जी की कृपा, नहीं होगी धन की कमी

    हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष में अमावस्या पड़ती है जब चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता। इस तिथि को धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही अमावास्या पर विष्णु जी के साथ-साथ धन की लक्ष्मी जी माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। ऐसे में अमावस्या तिथि पर श्रीसूक्त का पाठ करके लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 03 Apr 2024 08:00 PM (IST)
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    Somvati Amavasya 2024 सोमवती अमावस्या पर श्रीसूक्त का पाठ करें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Somvati Amavasya 2024 Upay: हिंदू धर्म में लक्ष्मी जी को धन की देवी माना गया है। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि देवी लक्ष्मी की कृपा आपके और आपके परिवार के ऊपर बनी रहे, तो इसके लिए आप अमावस्या तिथि पर श्रीसूक्त का पाठ कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए एक सही विधि का पालन करना आवश्यक है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं कि श्री-सूक्त का पाठ कैसे करना चाहिए।

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    ।। अथ श्री-सूक्त मंत्र पाठ ।।

    1- ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।

    चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

    2- तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।

    यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।।

    3- अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।

    श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।

    4- कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।

    पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

    5- चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।

    तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।

    6- आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।

    तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।

    7- उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।

    प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।

    8- क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।

    अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।

    9- गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।

    ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

    10- मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।

    पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।

    11- कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।

    श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।

    12- आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।

    नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।

    13- आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।

    चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

    14- आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।

    सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।

    15- तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।

    यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।

    16- य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।

    सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।

    ।। इति समाप्ति ।।

    इस तरह करें पाठ

    अमावस्या की शाम को लाल रंग के धागे को बाती के रूप में इस्तेमला करें। इसके बाद दीपक में गाय का घी डालकर, थोड़ा-सा केसर डालें। इसके बाद श्रीसूक्त का पाठ करें। ऐसा करने से आपको लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी