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    Somvati Amavasya पर पितरों की शांति के लिए करें ये उपाय, नहीं सताएगा पितृ दोष का डर

    इस साल भाद्रपद की अमावस्या सोमवार 02 सितंबर 2024 को पड़ रही है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोमवती आमवस्या भी कहा जाएगा है। इस तिथि पर व्रत पूजा-पाठ और स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। इसी के साथ पितरों के निमित्त कुछ उपाय करने से आप इस तिथि पर जीवन में शुभ परिणाम देख सकते हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 30 Aug 2024 10:30 AM (IST)
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    Somvati Amavasya पर पितरों की शांति के लिए उपाय (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि पितरों के लिए समर्पित मानी गई है। ऐसे में आप इस तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखते हैं। तो चलिए जानते हैं कि भाद्रपद में आने वाली सोमवती अमवास्या (Somvati Amavasya 2024) पर आप किस तरह पितरों को तृप्त कर सकते हैं।

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    जरूर करें ये काम (Pitron ko kaise Khush kare)

    सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान जरूर करें। अगर आपके आसपास कोई नदी या तालाब नहीं है, तो ऐसे में आप घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। इसी के साथ सोमवती अमावस्‍या पर पीपल के पेड़ का पूजा भी जरूर करें। पूजन के दौरान पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा करें और पेड़ के नीचे सरसों के तेल में काले तिल डालकर दीपक जलाएं। शुभ फलों की प्राप्ति के लिए आप पितृ चालीसा (Somvati Amavasya 2024 date) का पाठ कर भी कर सकते हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    जरूर करें ये काम (works to get ancestors blessings)

    सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद अपनी क्षमता अनुसार, दान-दक्षिणा जरूर देनी चाहिए। इसी के साथ आप जरूरमंद लोगों में काले तिल, जल, दही, शहद, गाय का दूध, गंगाजल, वस्त्र, अन्न का भी दान कर सकते हैं। पितृदोष निवारण हेतु पिंडदान करते समय मंत्रों का जाप करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी अवश्य करें।

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    पितृ दोष निवारण मंत्र

    • ॐ पितृ देवतायै नम:
    • ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
    • ओम सर्व पितृ देवताभ्यो नमः प्रथम पितृ नारायण नमः नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
    • पितृ गायत्री मंत्र — देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्यः एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमोनमः।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।