Somvati Amavasya 2024: भगवान शिव को लगाएं इन चीजों का भोग, पितृ दोष की समस्या से मिलेगा छुटकारा
हर महीने में अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि पितरों को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ मानी जाती है। पंचांग के अनुसार इस बार पौष माह में सोमवती अमावस्या ( Somvati Amavasya 2024) है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने से आर्थिक तंगी जल्द खत्म होती है। इस दिन पूजा थाली में भोग जरूर शामिल करने चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सभी तिथि का किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। ठीक इसी प्रकार से हर माह में पड़ने वाली अमावस्या जगत के पालनहार भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। पौष माह में वर्ष 2024 की आखिरी अमावस्या 30 दिसंबर (Somvati Amavasya 2024 Date) को मनाई जाएगी। इस दिन सोमवार पड़ने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। ऐसे श्रीहरि और पितरों के संग महादेव की पूजा-अर्चना की जाएगी।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन उपासना और पितरों का तर्पण करने से इंसान को पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। अगर आप पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सोमवती अमावस्या की पूजा थाली में विशेष भोग को शामिल करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ दोष (Pitra dosh ke upay) की समस्या से छुटकारा मिलता है।
सोमवती अमावस्या 2024 डेट और टाइम (Somvati Amavasya 2024 Date and Time)
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट से होगी और तिथि का समापन 31 दिसंबर को सुबह 03 बजकर 56 मिनट (Somvati Amavasya 2024 Shubh Muhurat) पर होगा। ऐसे में 30 दिसंबर को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 32 मिनट से 05 बजकर 59 मिनट तक
अमृत काल- शाम 05 बजकर 24 मिनट से 07 बजकर 02 मिनट तक
पूजा थाली में शामिल करें ये भोग
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और श्रीहरि को हलवा, दही, भांग, पंचामृत, शहद, सफेद मिठाई, दूध और आदि चीजों का भोग लगाएं। मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से महादेव प्रसन्न होते हैं और सभी मुरादें पूरी होती हैं। साथ ही पितृ देव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा पितरों को खीर और तिल का भोग लगाना चाहिए। इससे पितृ दोष खत्म होता है।
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पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप
1. ॐ पितृ देवतायै नम:।
2. ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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