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    Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या पर बन रहा है अत्यंत शुभ संयोग, जरूर करें ये उपाय

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Thu, 09 Feb 2023 01:05 PM (IST)

    Somvati Amavasya 2023 हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। बता दें कि जो अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।

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    Somvati Amavasya 2023: कई प्रकार के दोष से मुक्ति के किए सोमवती अमावस्या पर जरूर करें ये आसान उपाय।

    नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Somvati Amavasya 2023: हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विशेष दिन पर स्नान एवं दान करने से विशेष लाभ मिलता है और साथ ही साधकों को पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार 20 फरवरी 2023, सोमवार (Somvati Amavasya 2023 Date) के दिन सोमवती अमावस्या पड़ रही है। बता दें कि पवित्र फाल्गुन मास में सोमवती अमावस्या तिथि का विशेष संयोग बन रहा है। शास्त्रों में बताया गया है कि फाल्गुन मास में सोमवती अमावस्या तिथि पड़ने से बहुत लाभ मिलता है, साथ ही इस दिन किए गए कुछ उपायों से जीवन में आ रही कई परेशानियां दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और उपाय

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    सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त (Somvati Amavasya 2023 Shubh Muhurat)

    सोमवती अमावस्या व्रत तिथि: 20 फरवरी 2023, सोमवार

    सोमवती अमावस्या पूजा मुहूर्त: प्रातः 09 बजकर 50 मिनट से सुबह 11 बजकर 15 मिनट तक

    दान का समय: सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

    सोमवती अमावस्या उपाय (Somvati Amavasya 2023 Upay)

    • सोमवती अमावस्या के दिन कच्चे दूध और दही से भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही उन्हें काला तिल भी अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

  • सोमवती अमावस्या के दिन संध्या काल में ईशान कोण में दीपक अवश्य जलाएं। इसके लिए रूई की जगह मोली का प्रयोग करें।

  • शनि की साढ़े साती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन सोरसों का तेल शनि देव को अर्पित करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

  • सोमवती अमावस्या के पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पीपल के पेड़ को गंगाजल, चीनी, चावल, पुष्प इत्यादि अर्पित करें। साथ ही 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार अवश्य करें।

  • डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।