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    Pradosh Vrat 2025: आज है प्रदोष व्रत, यहां जानें भोग, पूजा विधि और मुहूर्त से लेकर सबकुछ

    सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बेहद खास माना गया है। इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा होती है। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन शिव पूजन करते हैं उनके जीवन में आने वाली सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इस बार यह व्रत ( Pradosh Vrat 2025) 27 जनवरी 2025 यानी आज के दिन रखा जा रहा है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 27 Jan 2025 09:31 AM (IST)
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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस महत्वपूर्ण दिन पर शिव भक्त उपवास रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। यह व्रत शुक्ल पक्ष के 13वें दिन त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, और यह महीने में दो बार आता है। इस बार यह व्रत 27 जनवरी 2025, दिन सोमवार यानी आज के दिन रखा जा रहा है। सोमवार के पड़ने की वजह से इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है, सोम का अर्थ है सोमवार, और प्रदोष का अर्थ है सूर्यास्त से पहले की अवधि।

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    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन (Som Pradosh Vrat 2025) को भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है,तो चलिए इस व्रत से जुड़ी संपूर्ण जानकारी यहां जानते हैं।

    प्रदोष व्रत भोग - सफेद मिठाई और खीर।

    प्रदोष व्रत पर चढ़ाएं ये फूल - आक, कनेर और सफेद फूल।

    प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त (Som Pradosh Vrat Puja Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से 03 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। फिर गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 54 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसके बाद निशिता मुहूर्त देर रात 12 बजकर 07 मिनट से 01 बजे तक रहेगा। इसके अलावा हर्षण और भद्रावास योग के संयोग के साथ पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। इस दौरान आप पूजा-पाठ करके शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।

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    प्रदोष व्रत पूजा विधि (Som Pradosh Vrat Puja Vidhi)

    भक्त सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें। दिन की शुरुआत पवित्रता और भक्ति के साथ करने के लिए शिव जी का ध्यान मन ही मन करते रहें। भक्त शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें कुमकुम, सफेद चंदन का तिलक लगाएं। फूलों की माला अर्पित करें। लड्डू, पेड़ा या खीर, खजूर, बादाम और काजू आदि भोग के रूप में चढ़ाएं। शिव जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें। अंत में शिव जी की विधिवत आरती करें। पूजा का समापन आरती से करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा -प्रार्थना करें। तामसिक चीजों से दूर रहें। अगले दिन शिव प्रसाद से व्रत का पारण करें।

    प्रदोष व्रत पूजन मंत्र (Som Pradosh Vrat Mantra)

    • ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।।
    • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।