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    Som Pradosh Vrat 2024: इस दिन रखा जाएगा साल का पहला सोम प्रदोष व्रत, जानें डेट-पूजा विधि से लेकर सारी जानकारी

    Updated: Sat, 11 May 2024 09:10 AM (IST)

    प्रदोष व्रत भगवान शंकर को अति प्रिय है। महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं। इस बार यह व्रत 20 मई दिन सोमवार को रखा जाएगा। सोमवार को पड़ने की वजह से इसे सोम प्रदोष (Som Pradosh Vrat 2024) के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष की दृष्टि से सोमवार को सोम प्रदोष का पड़ना एक बेहद शुभ संयोग है क्योंकि दोनों ही दिन शिव जी को बहुत प्रिय हैं।

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    Som Pradosh Vrat 2024: सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Photo Credit -Freepic)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Som Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। इस शुभ दिन पर लोग व्रत रखते हैं और अपने परिवार की उन्नति के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है यह व्रत भोलेनाथ को अति प्रिय है। महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं। इस बार यह व्रत 20 मई, 2024 दिन सोमवार को रखा जाएगा। सोमवार को पड़ने की वजह से इसे सोम प्रदोष के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष की दृष्टि से सोमवार को सोम प्रदोष का पड़ना एक बेहद शुभ संयोग है, क्योंकि दोनों ही दिन शिव जी को बहुत प्रिय हैं।

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    ऐसे में जो लोग इस पवित्र दिन पर शाम के समय भगवान शंकर की विधि अनुसार पूजा करते हैं, उन्हें हर वो चीज प्राप्त होती है, जिसकी वो कामना रखते हैं, तो आइए इसकी तिथि और पूजा विधि को जानते हैं, क्योंकि दोनों ही पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    कब है सोम प्रदोष व्रत 2024?

    हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की ​त्रयोदशी तिथि 20 मई, 2024 दिन सोमवार दोपहर 03 बजकर 58 पर शुरू होगी। वहीं, ​इस तिथि की समाप्ति अगले दिन यानी 21 मई दिन मंगलवार शाम 05 बजकर 39 मिनट पर होगी। त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल 20 मई को पड़ रहा है, जिसके चलते साल का पहला सोम प्रदोष व्रत 20 मई को रखा जाएगा।

    सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

    • पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
    • भगवान शंकर और माता पार्वती के सामने व्रत का संकल्प लें।
    • एक वेदी पर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
    • गंगाजल से प्रतिमा को अच्छी तरह साफ करें।
    • देसी घी का दीपक जलाएं और प्रतिमा को फूल व माला से सजाएं।
    • चंदन व कुमकुम का तिलक लगाएं।
    • उन्हें खीर, हलवा, फल, मिठाइयों आदि का भोग लगाएं।
    • प्रदोष व्रत कथा, पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें।
    • प्रदोष पूजा शाम के समय ज्यादा फलदायी मानी जाती है, इसलिए प्रदोष काल में ही पूजा करें।
    • व्रती सात्विक भोजन से अपना व्रत अगले दिन खोलें।
    • व्रती गलत आचरण से दूर रहें।
    • व्रत के दौरान सिर्फ फलाहार करें।

    पंचाक्षरी मंत्र

    • ॐ नम: शिवाय।।

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    डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी''।